अगर शैली की बात की जाए तो गद्दी नृत्य वाणभट्ट के हर्षचरित के मंडलाकार नृत्य से काफी मिलता-जुलता है, जिनमें पुरूषों और महिलाओं के नृत्य समूह गोल घेरा बनाकर नृत्य करते हैं और साथ ही गीत भी गाते हैं।
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उसके अनुसार मंडलाकार पृथ्वी के तीन कारण थे (क) पदार्थो का उभय केंद्र की ओर गिरना, (ख) ग्रहण में मंडल ही चंद्रमा पर गोलाकार छाया प्रतिबिंबित कर सकता है तथा (ग) उत्तर से दक्षिण चलने पर क्षितिज का स्थानांतरण और नयी नयी नक्षत्र राशियों का उदय होना।
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क्यों जीवन में आगे ही बढ़ना या पीछे ही हटना? क्यों पाँच क़दम आगे और पाँच क़दम वापस? वह आगे-पीछे का क्रम छोड़कर कोठरी के चारों ओर चक्कर काटने लगी-बीच में चक्की, खड्डी, पतरा कई विघ्न थे, लेकिन सीधी की बजाय मंडलाकार चाल चलने से उसे कुछ सन्तोष हुआ।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।
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पाइथैगोरियन संप्रदाय के दार्शनिकों ने मंडलाकार पृथ्वी के सिद्धांत को मान लिया था क्योंकि मंडलाकार पृथ्वी ही मनुष्य के समुचित वासस्थान के योग हैं पारमेनाइड्स (450 ईसा पूर्व) ने पृथ्वी की जलवायु की समांतर कटिबंधों की ओर संकेत किया था यह भी बतलाया था कि उष्णकटिबंध गरमी के कारण तथा शीत कटिबंध शीत के कारण वासस्थान के योग्य नहीं है, किंतु दो माध्यमिक समशीतोष्ण कटिबंध आवासीय हैं।