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मजदूरनी उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.यों लड़के-लड़कियाँ सभी घरों में काम-काज करते ही हैं, पर उन्हें कोई टहलुआ नहीं समझता, पर इस महाजनी सभ्यता में लड़की एक खास उम्र के बाद लोंडी और अपने भाइयों की मजदूरनी हो जाती है।

42.बरसात के दिनों में विशेषतः जुलाई अगस्त के माहों में जब मर्दों के लिएजंगल जाना सम्भव नहीं रहता अथवा बहुत खतरनाक होता है, बिरहोर की औरतेंविशेषतः इस समय कहीं-कहीं खेतों में मजदूरनी के काम करके जीविका अर्जनकरती हैं.

43.हाये माँ मजदूरनी की लाचारी..पापी पेट क्या कुछ नहीँ करवाता! काश मेरी दुआएँ इस बच्चे तक (आपकी सँवेदनशील पोस्ट के जरीये ही) पहुँच जायेँ और इसका भविष्य सुरक्षित हो जाये तब ईश्वर कृपा को जानूँ “-लावण्या

44.“ हाये माँ मजदूरनी की लाचारी..पापी पेट क्या कुछ नहीँ करवाता! काश मेरी दुआएँ इस बच्चे तक (आपकी सँवेदनशील पोस्ट के जरीये ही) पहुँच जायेँ और इसका भविष्य सुरक्षित हो जाये तब ईश्वर कृपा को जानूँ ”-लावण्या

45.इसी क्रम में भूमंडलीकरण के बाद के बलात् विस्थापन में फुटपाथओं पर चूल्हा-चौका जोड़नेवाली मजदूरनी आपस में जिस भाषा में बतियाती है या बच्चों को, जिस खिचड़ी भाषा में नयी उठान की लोककथाएं सुनाती है या लोकगीत, उसकी भी छव बिल्कुल निराली है।

46.इस भेदभाव पर अछूत मजदूरनी का तर्क बड़ा सशक्त है, ‘ आपके घर में गेहूँ छू दिया तो उसका सत्यानास हो गया और खेत में हम ही लोगन के विरादर काटत, ढोवत है, बोरा मा भरत है, तब नाहीं सत्यानास होता है।

47.लेकिन मैं गलत थी. मजदूरनी ने पेड से लटकी साडी से बने झूले में से एक नन्हे से शिशु को निकाला और वहीं पेड के तने से लग कर बैठ गई और उसे दूध पिलाने लगी. शिशु की उम्र लगभग दो महीने होगी.

48.शब्द पत्थर तोड़ती मजदूरनी भी है और भार ढोता बलचनवा भी....वाराणसी की सडकों पर अपनी त्रासदी बयां करता मोचीराम की निगाह में “ हर आदमी एक जोड़ी जूता ” और शमशेर के लिए “संसार के चक्के पर दो हाथ ” शब्द ही तो है....शब्द भूख है....शब्द प्यास है...शब्द ग़ालिब है...शब्द मीर है....शब्द अपना घर जलाता हुआ कबीर है.....

49.शब्द पत्थर तोड़ती मजदूरनी भी है और भार ढोता बलचनवा भी.... वाराणसी की सडकों पर अपनी त्रासदी बयां करता मोचीराम की निगाह में “ हर आदमी एक जोड़ी जूता ” और शमशेर के लिए “ संसार के चक्के पर दो हाथ ” शब्द ही तो है.... शब्द भूख है.... शब्द प्यास है... शब्द ग़ालिब है... शब्द मीर है.... शब्द अपना घर जलाता हुआ कबीर है.....

50.मजदूरनी को तिल साफ करते हुए देखकर बोले, इस बहन को किसने लगाया है? “ इसका उत्तर कौन दे! अंत में बलवंत सिंह ने डरते-डरते कहा ” बापुजी, मैंने लगाया हे. “ गांधीजी बोले, ” क्यों लगाया हे? मैंने तो यह काम बा को सौंपा था न! तुम बीच में क्यों पड़े? “ बलवंत सिंह ने सकुचाते हुए उत्तर दिया, ” तिल बहुत बारीक हैं और उनमें कचरा भी बारीक है.

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