चित्र-परिचय (गज-भय-मुक्ति) आक्रमण की मुद्रा में अत्यन्त ऐसा मदोन्मत्त हाथी जिसके कपोलों पर झरता मद पीने भौंरे मँडरा रहे हैं भक्त के पास आते ही शान्त होकर बैठ जाता है।
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सरिता की कल-कल करती वेगमयी गति अब मन्द पड़ गई है मानो वे कह रही हैं कि चार दिन के यौवन पर मदोन्मत्त हो कर गर्व करना उचित नहीं है।
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पाठ करता है, वह मदोन्मत्त हाथी, क्रुद्ध सिंह, दावानल, विषधर नाग, भयानक युद्ध, समुद्र, जलोदर (रोग) और कारागार (पीछे बताये गये) इन आठ प्रकार के भयों से सदा मुक्त रहता है।
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असहायों को सम्बल, पीड़ितों को सुख, अज्ञानियों को ज्ञान एवं मदोन्मत्त शासक को सद्बुद्धि देने वाली पत्रकारिता है, जो समाज-सेवा और विश्व बन्धुत्व की स्थापना में सक्षम है ।
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उसकी मेरे इस असीम अनुराग-सागर के साथ किस प्रकार तुलना करूँ? सरिता तो वर्षा से ही मदोन्मत्त बनती है, जब कि मेरा अनुराग आठों प्रहर अनवरत एक-सरीखा लहराता रहता है ।
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अर्जुन के लौटने पर भगवान ने कहा, “ वह तो मदोन्मत्त मालूम पड़ता है, मैंने तुम्हें उधर निरस्त्र भेजकर ठीक नहीं किया, मुझे बड़ी चिंता हो रही थी | ”
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एक बार नर्मदा में स्नान करते हुए मदोन्मत्त हैहयराज ने अपनी बाँहों से नदी का वेग रोक लिया, फलतः उसकी धारा उल्टी बहने लगी, जिससे रावण का शिविर पानी में डूबने लगा।
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एक बार नर्मदा में स्नान करते हुए मदोन्मत्त हैहयराज ने अपनी बाँहों से नदी का वेग रोक लिया, फलतः उसकी धारा उल्टी बहने लगी, जिससे रावण का शिविर पानी में डूबने लगा।
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श्रीकृष्ण के जीवन में विभिन्न प्रकार के गुणों का ऐसा सुन्दर समन्वय था कि एक ओर जहॉं वे सामान्य जन में रम सकते थे, वहीं अपने हाथों से कुवलयापीड़ जैसे मदोन्मत्त हाथी के दांतों को भी उखाड़कर फेंक सकते थे।
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श्रीकृष्ण के जीवन में विभिन्न प्रकार के गुणों का ऐसा सुन्दर समन्वय था कि एक ओर जहॉं वे सामान्य जन में रम सकते थे, वहीं अपने हाथों से कुवलयापीड़ जैसे मदोन्मत्त हाथी के दांतों को भी उखाड़कर फेंक सकते थे।