ये बात तो तय है की अगर आपके विचार शासक वर्गो की मनमानी के विरुद्ध हैं राजनितिक विचारधाराओं (कांग्रेस, बीजेपी, दक्षिणपंथी, वामपंथी नरमपंथी या मध्यममार्गी) के विरुद्ध हैं तो फिर आपका विरोध होना निश्चित है, चाहें देश के टुकड़े हो जाएँ लेकिन कोई भी अपनी विचारधारा से आगे सोचने को तैयार नहीं होगा..
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आओ हम सभी मिलकर एक झटके में ही देशवासियों में दूरियां बढाने वाली आरक्षण व्यवस्था को समाप्त कर राष्ट्र भक्षक राजनेताओं की दुकान को बंद कर दे l देश ऐसी स्थिति में जा पहुंचा है जहाँ मध्यममार्गी रास्ते कदम कदम पर राष्ट्रिय उत्थान में अवरोध खड़ा करते रहेंगे l पूर्व में की गयी गलतियों से हम सबक न लेकर फिर वही गलती दुहराते जा रहे हैं l बुरा न मानना जब आरक्षण से किसी को फायदा या नुकसान हो रहा हो तो वह आदर्श कैसे हुआ!