इनमें ‘अपना ' और ‘आप' शब्द उत्तम, पुरुष मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के (स्वयं का) अपने आप का ज्ञान करा रहे शब्द हें जिन्हें निजवाचक सर्वनाम कहते हैं।
42.
क़ुरान के सारे मध्यम पुरुष के एकवचन में प्रयुक्त होने वाले वाक्य अधिकतर स्वयं महात्मा मुहम्मद और बहुवचन में मुसलमानों या नास्तिकों को सम्बोधित करके कहे गये है।
43.
मध्यम पुरुष वह है जो नारी के कहने पर संभोग करे और जो बार-बार कामातुर नारी के उकसाने पर भी संभोग नहीं करे, वह पुरुष नहीं, नपुंसक है।
44.
पूर्व मध्यम पुरुष एकवचन सर्वनाम था; यह अधिकांश संदर्भों में अप्रचलित माना जाता है, हालांकि यह अभी भी इंग्लैंड के उत्तर में कुछ बोलियों में प्रयोग किया जाता है.
45.
जर्मन में “ आप ” और “ तू ” अर्थात „ Sie “ तथा „ Du “ में भेद सम्बोधानकर्ता की मध्यम पुरुष से अन्तरँगता पर निर्भर करता है।
46.
जहाँ ‘आप ' शब्द का प्रयोग श्रोता के लिए हो वहाँ यह आदर-सूचक मध्यम पुरुष होता है और जहाँ ‘आप' शब्द का प्रयोग अपने लिए हो वहाँ निजवाचक होता है।
47.
इनमें ‘ अपना ' और ‘ आप ' शब्द उत्तम, पुरुष मध्यम पुरुष और अन्य पुरुष के (स्वयं का) अपने आप का बोध करा रहे हैं।
48.
आधुनिक प्रतियों में कर्मवाचक बहुवचन और मध्यम पुरुष सर्वनाम प्रयोग में संयुक्ताक्षर न्ह और म्ह के स्थान पर तुलसी पीठ की प्रति में क्रमशः न और म का प्रयोग है।
49.
आधुनिक प्रतियों में कर्मवाचक बहुवचन और मध्यम पुरुष सर्वनाम प्रयोग में संयुक्ताक्षर न्ह और म्ह के स्थान पर तुलसी पीठ की प्रति में क्रमशः न और म का प्रयोग है।
50.
मध्यम पुरुष वह है जो नारी के कहने पर संभोग करे और जो बार-बार कामातुर नारी के उकसाने पर भी संभोग नहीं करे, वह पुरुष नहीं, नपुंसक है।