दूसरे दिन सुबह पहले सत्र में वरि ष् ठ आलोचक गोपाल राय ने ' शेखर एक जीवनी ' पर अपने सारगर्भित व्याख्यान में कहा कि बालक के विद्रोही बनने की प्रक्रिया में अज्ञेय ने गहरी अंतरदृष्टि और मनोवैज्ञानिकता का परिचय दिया है, वहीं प्रेम के प्रसंग में भी उनका वर्णन और भाषाई कौशल अद्भुत है।
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' दूध का दाम ' कहानी में महेशबाबू के कथित सवर्ण व सम्पन्न परिवार के विचार, संस्कार व व्यवहार तथा अछूत समझे जाने वाली भुंगी, गूदड़ व मंगलू के विचार, संस्कार व व्यवहार को आमने-सामने दर्शाकर प्रेमचन्द ने दलितों में मौजूद करुणा, सहयोग, इन्सानियत को उजागर किया तो सवर्ण मनोवैज्ञानिकता में मौजूद काईयांपन, चालाकी व धोखेबाजी को चित्रित किया है जो उनकी इंसानियत को उभरने नहीं देती।