क्या आज के जमाने में भी कोई ऐसा हो सकता है??? अचानक उस लड़की ने मन-ही-मन में अपने भगवान से दुआ मांग ली कि उसकी शादी जब भी हो ऐसे ही किसी लड़के से हो.
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“अजीब है यह व्यक्ति! ” अपनी यात्रा जारी रखते हुए छोटे राजकुमार ने अपने मन-ही-मन में कहा, “राजा, घमंडी, शराबी, व्यापारी, सब लोग इस व्यक्ति की अवहेलना करेंगे, अगरचे यही एक ऐसा व्यक्ति है, जो मुझे बेतुका नहीं लगता ।
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कुछ मन-ही-मन में आनंद ले रहे थे! बादशाह भी पत्थरदिल था! उसने तुरंत आदेश दिया की उस बालक को शेर के साथ पिंजरे में बन्द कर दिया जाये! पृथ्वीसिंह को पिंजरे के अन्दर छोड़ा गया.......
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‘ अब मिल के ही जान लेना '-और मैं तुम्हें तुम्हारें आधे भींगे बालों को सहलाने की इच्छा करने लगी, सिर्फ मन-ही-मन में. लेकिन मुझे ये नहीं पता था कि तुम सच में गिन्नी के बगल बैठ जाओगे.
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भागने लगे नरवीर छोड वह दिशा जिधर भी झुका कर्ण, भागे जिस तरह लवा का दल सामने देख रोषण सुपर्ण! 'रण में क्यों आये आज?' लोग मन-ही-मन में पछताते थे, दूर से देखकर भी उसको, भय से सहमे सब जाते थे.
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भागने लगे नरवीर छोड वह दिशा जिधर भी झुका कर्ण, भागे जिस तरह लवा का दल सामने देख रोषण सुपर्ण! ‘ रण में क्यों आये आज? ' लोग मन-ही-मन में पछताते थे, दूर से देखकर भी उसको, भय से सहमे सब जाते थे.
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बादशाह के साथ-साथ उपस्थित जनसमुदाय विस्मय चकित हो गया! कुछ लोग डर गए......कुछ मन-ही-मन में आनंद ले रहे थे! बादशाह भी पत्थरदिल था! उसने तुरंत आदेश दिया की उस बालक को शेर के साथ पिंजरे में बन्द कर दिया जाये! पृथ्वीसिंह को पिंजरे के अन्दर छोड़ा गया.......वह शेर की आँखों में देख रहा था!
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सारे दरबार में फिर से सन्नाटा छा गया.........वह शख्स था जोधपुर का भूतपूर्व राजा जसवंतसिंह....! धूर्त औरंगजेब जसवंतसिंह के ऐलान से मन-ही-मन में लज्जित हो गया....! उसने भी जबाब में कह दिया,“देखते है राजाजी, हम भी आप के नन्हे शेर को देखना पसंद करेंगे! आप कल उसे यहाँ ले आओ, नन्हे शेर को इस खूंखार शेर के साथ पिंजरे में बन्द कर देखेंगे की किसका शेर ज्यादा शक्तिशाली है!”
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सारे दरबार में फिर से सन्नाटा छा गया.........वह शख्स था जोधपुर का भूतपूर्व राजा जसवंतसिंह....! धूर्त औरंगजेब जसवंतसिंह के ऐलान से मन-ही-मन में लज्जित हो गया....! उसने भी जबाब में कह दिया,“देखते है राजाजी, हम भी आप के नन्हे शेर को देखना पसंद करेंगे! आप कल उसे यहाँ ले आओ, नन्हे शेर को इस खूंखार शेर के साथ पिंजरे में बन्द कर देखेंगे की किसका शेर ज्यादा शक्तिशाली है!”
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राजाजी ने अपने १४ साल के पुत्र पृथ्वीसिंह को बादशाह के सामने पेश कर कहा की यही है मेरा नन्हा शेर.......! बादशाह के साथ-साथ उपस्थित जनसमुदाय विस्मय चकित हो गया! कुछ लोग डर गए......कुछ मन-ही-मन में आनंद ले रहे थे! बादशाह भी पत्थरदिल था! उसने तुरंत आदेश दिया की उस बालक को शेर के साथ पिंजरे में बन्द कर दिया जाये! पृथ्वीसिंह को पिंजरे के अन्दर छोड़ा गया.......वह शेर की आँखों में देख रहा था!