| 41. | अकुला रही सारी मही.................... (अन्नपूर्णा बाजपेई)
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| 42. | २२१. मही द्यौः पृथिवी च न इमं यज्ञं मिमिक्षताम् ।
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| 43. | देख आज मेवाड़ मही को / कन्हैया लाल सेठिया
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| 44. | ” ॐ तत पुरुषाय विदमहे महादेवाय धी मही..
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| 45. | तिस्त्रोदेवी मयोभुव: '' से मालूम पड़ता है कि मही से
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| 46. | मही पादाघाताद् व्रजति सहसा संशयपदं ।
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| 47. | मही ने रचे कितने षडयंत्र नीचे?
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| 48. | सावन भाजी भादों मही, क्वाँर करेला
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| 49. | ओ ईश्वर के काव्यदूत तुम फिर से मही पर आओ,
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| 50. | आज मही का अनुपम माल ।
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