स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म
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स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म
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स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म
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* प्रदरांतक लौह, संग जराहत भस्म, गोदन्ती भस्म, तीनों 10-10 ग्राम, प्रवाल पिष्टी व स्वर्ण माक्षिक भस्म 5-5 ग्राम, पुष्यानुग चूर्ण 30 ग्राम, इस सबको एक साथ खरल में डालकर अच्छी तरह घुटाई करके मिला लें और बराबर मात्रा की 40 पुड़िया बना लें।
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इस विषय को छोड़ कर हम आपकी पत्नी का उपचार लिखते हैं ध्यानपूर्वक दवाएं दीजिये ताकि वे जल्द ही स्वस्थ होकर स्वस्थ शिशु को जन्म दें.... १. मण्डूर माक्षिक भस्म दो-दो रत्ती (२ ५ ० मिग्रा.) लेकर उसे शहद से सुबह-शाम चटाएं।
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स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म तैयार हो जाती है ।
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स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म तैयार हो जाती है ।
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स्वर्ण माक्षिक मारण विधि-शुद्ध माक्षिक लेकर सम्भाग गंधक लेकर निम्बु के रस मे खरल करते हैं टिकिया बना कर सुखा लेते है उसके बात टिकिया को शराब सम्मुट करके गज पुट मे फ़ूक देते हैं ८ पुट देने से स्वर्ण माक्षिक भस्म तैयार हो जाती है ।
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सामिग्री-लौह भस्म, वंग भस्म, ताम्र भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म, शुद्ध पारद, शुद्ध गन्धक, शुद्ध हिंगुल, शुद्ध सींगिया विष, जायफल, लोंग, दालचीनी, छोटी इलायची, नागकेशर, धतूरे के बीज और शुद्ध जमालगोटा 1-1 तौला तथा काली मिर्च 3 तौला।
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प्रचलित आयुर्वेदिक औषधियां: ड्डकंटकारी अवलेह ड्डवासावलेह ड्डसितोपलादि चूर्ण ड्डकनकासव ड्डअगत्स्यहरीतिकी अवलेह सिर दर्द की आयुर्वेदिक चिकित्सा शिर शूलादि वज्र रस, सूतशेखर रस, गोदन्ती भस्म, लक्ष्मीविलास रस अभ्रकयुक्त, चारों 10-10 ग्राम, स्वर्ण माक्षिक भस्म और प्रवाल पिष्टी 5-5 ग्राम लेकर सबको भली-भाँति घोंट-पीसकर मिला लें।