वस्तुतः स्टिवर्ट की ये बातें यह तो बतलाती हैं कि मानक भाषा में उपर्युक्त चार विशेषताएँ होती हैं, ‘ किंतु मानक भाषा में मानकता भी होती है ' का तब तक कोई अर्थ नहीं, जब तक कि हम यह न बताएँ कि मानकता क्या है।
42.
शैक्षिक संस्थानों में मानकता पर बल दिया जाता है, जबकि आज मीडिया में उसका परस्पर विरोधाभास भी दिखता है, जिसमें अनेक दूरदर्शन धारावाहिकों में क्षेत्रीय बोलियों-हरियाणवी, भोजपुरी और अवधी के शब्दों की लोकप्रियता है यह एक अच्छी बात है इससे भाषिक संतुलन बनाने में सहायता मिलती है।
43.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
44.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
45.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
46.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
47.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
48.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
49.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।
50.
इन आधारों को लेकर हम विचार करें तो क्लासिक भाषा में ऐतिहासिकता होती है, मानकता होती है, किंतु जीवंतता नहीं होती, बोली में मानकता तथा स्वायत्तता नहीं होती, अवभाषा (वर्नाक्यूलर) में मानकता नहीं होती क्रतिम भाषा में केवल मानकता होती है, पिजिन में मात्र ऐतिहासिकता होती है, क्रियोल में अन्य सभी होती है, किंतु मानकता नहीं होती।