सूत्रों के अनुसार, जम्मू-कश्मीर के पोस्ट मास्टर जनरल का कहना है कि अफजल की बीबी तबस्सुम गुरु के नाम पर शुक्रवार को एक पत्र भेजा गया था, जो शनिवार को श्रीनगर पहुंचा था।
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मुख्य पोस्ट मास्टर जनरल परिमण्डल कार्यालय भोपाल ने अपने सभी अधिकारियों और डाकघर अधीक्षकों को डाक मतपत्र के संबंध में की गई विशेष डाक व्यवस्था का त्वरित गति से पालन कराने के निर्देश दिए हैं।
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इसलिए, व्यावहारिक शिक्षा के प्रोफ़ाइल मास्टर जनरल द्वारा निर्धारित कर रहे हैं, और स्नातकों को जो उचित सौदा किसी भी कानूनी नागरिकों या व्यवसाय को प्रभावित कर सकते हैं मुद्दे के समाधान के उद्देश्य से.
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की मुहर लगाते हुए | पोस्ट मास्टर जनरल श्री जोषी के दाहिने ओर महाराजा विजय सिंहजी के पोते श्री इंद्र विक्रम सिंहजी और बाईं तरफ फिलेटेलिस्ट श्री प्रशांत पंड्या और महाराजा विजय सिंहजी के प्रपौत्र श्री मानवेन्द्र सिंहजी |
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चीफ पोस्टर मास्टर जनरल के नए भवन के उद्घाटन समारोह पर सांसद चौधरी लाल सिंह ने अफसोस जताते हुए कहा कि राज्य में कई ऐसे इलाके हैं, जहां बीएसएनएल की सुविधा नहीं है और वे दूसरी दूरसंचार सेवा से भी जुड़े हुए नहीं हैं।
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प्रमुख सचिव वन श्री बी. पी. सिंह, चीफ पोस्ट मास्टर जनरल श्री ए.प ी. श्रीवास्तव, प्रधान मुख्य वन संरक्षक, वन्य-प्राणी श्री नरेन्द्र कुमार और प्रबंध संचालक मध्यप्रदेश राज्य वन विकास निगम श्री आर. एन. सक्सेना भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
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पोस्ट मास्टर जनरल को यथास्थिति की जानकारी दी गयी तो उनका जवाब आया कि चूंकि उस निर्धारित तिथि को भवान सिंह के खाते में २ ०० रूपये थे इसलिए वह ईनाम का हकदार है, अतः उसे ढूंढा जाये और ईनाम की राशि का चेक समारोह करके सौंपा जाये.
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समारोह में मुख्यमंत्री की पत्नी श्रीमती डिम्पल यादव, कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी, चीफ पोस्ट मास्टर जनरल यू 0 पी 0 सर्किल कर्नल कमलेश चन्द्रा, सचिव मुख्यमंत्री श्री आलोक कुमार-2 सहित बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक, कालेज की अध्यापिकायें और छात्रायें मौजूद थीं।
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रायपुर / 22/09/2011/-प्रदेश के लोकनिर्माण एवं शिक्षा मंत्री बृजमोहन अग्रवाल के शंकर नगर स्थित निवास पर आज डाक-तार विभाग छत्तीसगढ़ परिक्षेत्र के पोस्ट मास्टर जनरल डॉ.अभिनव वालिया ने मुलाकात की.इस दौरान जनअपेक्षाओं को देखते हुये श्री अग्रवाल ने चंगोराभाठा क्षेत्र में डाकघर खोलने की बात डॉ. वालिया से कही.
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युद्द शाखा के पास वैसे तो लंबा-चौड़ा नेटवर्क था पर सेना की नियम प्रक्रिया आदि के बारे में यह तंत्र बहुत कम जानकारी रखता था. सेना डाक संचालन में कई व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए सेना मुख्यालय में क्वार्टर मास्टर जनरल ब्रांच के अधीन मार्च 1941 में एक डाक सेक्शन बनाया गया।