पहला रास्ता यह कि एक और विभाजन स्वीकार करते हुए देश को एक बार पुन: दो टुकड़े कर हिन्दू-मुसलमानों में आबादी के हिसाब से तक़सीम कर झंझट खत्म किया जाय, जबकि दूसरा और अंतिम रास्ता यह होगा कि दोनों कौमें एकदूसरे के साथ मिलजुल कर रहना सीख लें, एक दूसरे के धर्म और मूल्य-मान्यताओं के प्रति सम्मान व समभाव रखते हुए कंधे से कंधा मिलाकर देश के विकास में बढ़-चढ़ कर अपना योगदान करें ।
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प्रिय अनिकेत, लोगों के बारे में, प्राणियों के बारे में नैसर्गिक (प्राकृतिक, स्वाभाविक) क्या है, मिलजुल कर रहना या आपस में नफ़रत लिए रहना? भावनाओं में बहना किस स्थिति में होता है, शांतिपूर्वक साथ रहने में या लड़ने में? ' वहां के हिन्दुओं का हाल यहाँ के मुसलमानों से कहीं बुरा है '-सही है, पर क्या वहां के मुसलमानों का हाल यहाँ के मुसलमानों से भला है?
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यही न कि जात-पात नहीं मानना चाहिए लेकिन जो टीचर चाहे मम्मी पापा हमलोग को no castism वाला चैप्टर पढ़ाते हैं वही लोग न फिर castism भी सिखाते हैं | का गलत कहें? अईसे तो कहा जाता है कि जात धरम नहीं मानना चाहिए सबको मिलजुल कर रहना चाहिए | हम इ पूछते हैं कि जब जात पात कुछ होइबे नहीं करता है सब इंसान एके है तो हम लोग को जात धरम के नाम पर बाँट काहे दिया जाता है?