1924 में, शक्कान-हो प्रणाली का स्थान मीट्रिक प्रणाली ने ले लिया, और पुरातन इकाइयों का प्रयोग 31 मार्च 1966 से आधिकारिक रूप से निषेध कर दिया गया।
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पहले दूरी, इंच, फ़ुट, गज़, फ़रलॉंग और मील से नापी जाती थी, लेकिन 1790 के दशक में जब फ़्रांस पर नेपोलियन का राज था तो मीट्रिक प्रणाली विकसित हुई.
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विक्रेता किसान की सहमति से ही सौदा तय होता था तथा मीट्रिक प्रणाली से ही सभी नाप माप-तौल करा करके किसानों को कुल मूल्य का भुगतान तुरन्त कराया जाता है।
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आई.) के अन्तर्गत मीट्रिक प्रणाली केसुधरे तथा विकसित हुए रूप को लागू करने तथा अपने विधान कोअन्तर्राष्ट्रीय प्रयोग में लाने के लिए जो कि अन्तर्राष्ट्रीय लीगलमेट्रोलाजी संघ द्वारा स्वीकृत है, की सिफारिश की थी.
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इसी तरह, देखो का उपयोग कर घटक प्रकार CUENTA_LEIDOS_SAP tFlowMeter (यहाँ), टेबल भंडारण में मीट्रिक प्रणाली के लिए स्रोत अभिलेखों को पढ़ने की संख्या से सही गिनती (प्रदर्शन के लिए प्रक्रियाओं बाद में जानकारी oten सांख्यिकीय).
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इसी तरह, देखो का उपयोग कर घटक प्रकार CUENTA_LEIDOS_SAP tFlowMeter (यहाँ [13]), टेबल भंडारण में मीट्रिक प्रणाली के लिए स्रोत अभिलेखों को पढ़ने की संख्या से सही गिनती (प्रदर्शन के लिए प्रक्रियाओं बाद में जानकारी oten सांख्यिकीय).
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इसके अलावा 1977 में वारब्वायज कमिटी मानक पर आधारित संकेतों के रूपांतरण के बाद आयरिश दिशात्मक संकेतों में मीट्रिक प्रणाली का प्रयोग किया गया है, हालांकि बाद की गति सीमा में बदलाव के विपरीत मौजूदा चेतावनी संकेत में बदलाव के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया था.
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इसके अलावा 1977 में वारब्वायज कमिटी मानक पर आधारित संकेतों के रूपांतरण के बाद आयरिश दिशात्मक संकेतों में मीट्रिक प्रणाली का प्रयोग किया गया है, हालांकि बाद की गति सीमा में बदलाव के विपरीत मौजूदा चेतावनी संकेत में बदलाव के लिए कोई भी प्रयास नहीं किया गया था.
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भारत में मीट्रिक प्रणाली लागू होने से पहले ही बाट व माप के प्रशिक्षण के लिये एक प्रशिक्षण संस्थान की आवश्यकता समझी गयी, जिसके लिये बिहार व महाराष्ट्र सरकार सबसे पहले आगे आये और अपने प्रवर्तन अधिकारियों को प्रशिशण देना प्रारंभ किया, जिससे देश में मानकों में समानता रहे व उपभोक्ता के अधिकारों का संरक्षण हो सके।
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इस पुस्तक की विषय वस्तु में 51 से अधिक विषयों जैसे नागरिक शास्त्र, इतिहास, भूगोल, गणित, बीज गणित, रेखा गणित, ठोस ज्यामिति, ज्यामिति, भौतिक विज्ञान, रसायन विज्ञान, हिन्दी अँग्रेज़ी भाषा व व्याकरण, खगोल विज्ञान, कृषि, वनस्पति शास्त्र, सामान्य ज्ञान, कम्प्यूटर विज्ञान, स्मृति शास्त्र, वेग गणित, इलेक्ट्रॉनिक्स्, मीट्रिक प्रणाली वाणिज्य, अर्थशास्त्र व देश विदेश की जानकारी आदि के साथ-2 अन्य बहुमूल्य जानकारियाँ दी गयी हैं।