इस रूट पर चलने वाली ज्यादातर बसें और यात्री-वाहन पार्क आने-जाने वाले सैलानियों से ही भरे होते हैं, जिन्हें इसी मुख्य-द्वार पर लाकर उतार दिया जाता है और वापस लौटने वाले भी इसी द्वार के पास बने शेड के नीचे या सड़क के उस पार की कच्ची थड़ियों और ढाबों के आस-पास बैठकर वाहनों का इंतजार करते हैं।