| 41. | यह स्थिति उनमें होती है जिनके शिश्न मुण्ड में अग्र त्वचा पाई जाती है.
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| 42. | जगत ब्रह्म से उत्पन्न हुआ है इस विषय में मुण्ड कोपिनिषद में कहा है-यथोर्ण
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| 43. | चण्ड और मुण्ड देवी कोशिकी के पास गये और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा।
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| 44. | चण्ड और मुण्ड देवी कोशिकी के पास गये और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा।
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| 45. | शिश्न मुण्ड सर्वप्रथम दिखाए गए चित्र (A) में स्पष्ट दिखाई दे रहा है.
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| 46. | चण्ड और मुण्ड देवी कोशिकी के पास गये और उसे अपने साथ चलने के लिए कहा।
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| 47. | उठत बैठत चलत सोवत बार बार मनाईये, चण्ड मुण्ड विनाशिनी जी के चरण हित चित्त लाईये ।
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| 48. | उसकी लाल लाल जटायें अग्नि के समान थीं, कण्ठ में मुण्ड माला और हाथों में शस्त्रास्त्र थे।
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| 49. | सिंह वाहिनी धनुष धारिणी कनक से तन सोहिनी, मुण्ड माल सरोज राजत मुनिन के मन मोहिनी ।
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| 50. | यह मूत्रनलिका शिश्न मुण्ड के शीर्ष में एक छिद्र या दरार के रूप में खुलती है.
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