कुकुरमुत्ता दो हिन्दी शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है, ऐसी मान्यता भारत के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है।
42.
कुकुरमुत्ता दो हिन्दी शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्रत्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है, ऐसी मान्यता भारत के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है।
43.
कुकुरमुत्ता दो हिन्दी शब्दों कुकुर (कुत्ता) और मुत्ता (मूत्र त्याग) के मेल से बना है, यानि यह कुत्तों के मूत्रत्याग के परिणामस्वरूप उत्पन्न होता है, ऐसी मान्यता भारत के ग्रामीण इलाकों में प्रचलित है।
44.
रीढ़ की हड्डी में चोट से पीड़ित लोगों में मूत्र पथ संक्रमण का जोखिम बढ़ ताजा है क्योंकि वे कैथेटर का काफी उपयोग करते हैं और इसके लिये मूत्रत्याग शिथिलता भी आंशिक रूप से जिम्मेदार होती है।
45.
इनके अतिरिक्त विशिष्ट कार्यसंपादन के लिए पांच कमेंद्रियां भी होती हैं, जैसे गमन के लिए पैर, ग्रहण के लिए हाथ, बोलने के लिए जिह्वा (गोजिह्वा), मलत्याग के लिए गुदा और मूत्रत्याग तथा संतानोत्पादन के लिए शिश्न (स्त्रियों में भग)।
46.
शुक्रजन्य या शुक्रक्षरणावरोधजन्य मूत्रकच्छ में जब वीर्य दोषों के योग के कारण मूत्रमार्ग में गमन करे तब मनुष्य को मूत्राशय व लिंग में शूल या दर्द होता है और मूत्रत्याग के समय मूत्र के साथ वीर्य भी आता है।
47.
इनके अतिरिक्त विशिष्ट कार्यसंपादन के लिए पांच कमेंद्रियां भी होती हैं, जैसे गमन के लिए पैर, ग्रहण के लिए हाथ, बोलने के लिए जिह्वा (गोजिह्वा), मलत्याग के लिए गुदा और मूत्रत्याग तथा संतानोत्पादन के लिए शिश्न (स्त्रियों में भग)।
48.
मूत्र से सम्बन्धित लक्षण:-मूत्राशय बढ़ा हुआ महसूस होता है और मूत्रत्याग करने के समय में जलन होती है और रोगी को इसके साथ ही सूजाक रोग हो जाता है या अण्डकोष पर गिल्टी सी बन जाती है।
49.
वीर्य को देह के नश्वर परकोटे में कैद करना ठीक ऐसे है जैसे कोई व्यक्ति यह कसम खा ले कि वह मूत्रत्याग नहीं करेगा और मूत्र को जिस्म में ही रोके रखेगा क्योंकि ऐसा करने से धर्मिकता आती है...धर्म की प्राप्ति होती है।
50.
शेष समय उसके पास पड़े बड़े से शिलाखण्ड को आड़ बनाकर मनुष्य नामक प्रजाति के प्राणी मुक्तभाव से मूत्रत्याग करते रहते हैं जिसकी दुर्गन्ध को सुगन्ध की तरह सदा के लिये स्वीकार कर चुके हैं जिला चिकित्सालय में कार्य करने वाले समस्त अधिकारी और कर्मचारी।