कहा जाता है, वह बिंदु है, जहां से वृक्क धमनी इस अंग में प्रवेश करती है और वृक्क शिरा तथा मूत्रवाहिनी बाहर निकलती है.
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ये खण्ड अनेक छोटे, अनियमित रूप से व्यवस्थित खण्डों से मिलकर बने होते हैं, जिनमें से प्रत्येक मूत्रवाहिनी की एक शाखा पर केंद्रित होता है.
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ये खण्ड अनेक छोटे, अनियमित रूप से व्यवस्थित खण्डों से मिलकर बने होते हैं, जिनमें से प्रत्येक मूत्रवाहिनी की एक शाखा पर केंद्रित होता है.
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के लिए पूछने के लिए मूत्रवाहिनी और गुर्दे के रोग के लिए आगे का मूल्यांकन ऐसा करने में, हम में पाया गया है कि हम हमारे
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(३) उपकरण परीक्षा (instrumental examination), जैसे मूत्रनलिका पारित करना (catheterization), अवशिष्ट मूत्र परिमापन (residual urine estimation), शलाका, पारित करना (bouginage) और मूत्रवाहिनी शलाका पारित करना (catheterzation)
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प्रत्येक गुर्दा मूत्र को एक मूत्रवाहिनी में उत्सर्जित करता है, जो कि स्वयं भी मूत्राशय में रिक्त होने वाली एक युग्मित संरचना होती है.
47.
पीड़ा मूत्रवाहिनी शूल (colic) तथा मूत्राशय, प्रॉस्टेट ग्रंथि, मूत्रमार्ग, अथवा जनन पथ के रोगों के कारण शरीर के विभिन्न भागों में विभिन्न प्रकार से हो सकती है।
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गुर्दे की पथरी होने के कुछ सामान्य लक्षण जब गुर्दे की पथरी मूत्रवाहिनी में घुमती है या इधर से उधर होती है तब बहुत हीं पीड़ा देती है।
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सबसे पहले गुर्दा रक्त की सफाई करता है और सफाई के बाद जो गंदा तरल पदार्थ निकलता है, वह मूत्रवाहिनी के रास्ते मूत्राशय में जमा हो जाता है।
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सबसे पहले गुर्दा रक्त की सफाई करता है और सफाई के बाद जो गंदा तरल पदार्थ निकलता है, वह मूत्रवाहिनी के रास्ते मूत्राशय में जमा हो जाता है।