बारिस में किसान की लडकियां जब कुछ समय के लिए कृषि कार्य से मुक्त होती हैं तो घर में आगामी व्यस्त दिनों के लिए पहले से ही धान से चांवल बनाने के लिए मूसर व ढेंकी से धान कुटती हैं उसे पछीनती निमारती है (साफ करती है), जतवा में गेहूं पीसती हैं इस कार्य में उन्हें कुछ देर हो जाती है और जब वे समय निकाल कर सामुहिक रूप से इकट्ठा होकर भोजली दाई के सामने जाती हैं और कुछ इस तरह से अपनी अभिव्यक्ति प्रस्तुत करती हैं:-कुटि डारेन धानेपछिनी डारेन भूसालइके लइका हन, भोजलीझन करबे गुस्सा ।