अबोध जी नमस्कार, धर्म क्या है ये मेरी समझ से तर्क का विषय नहीं है ये मेरे लिए सदाचरण व् किसी का दिल न दुखाना तथा मानव के साथ जीवो पर दया भाव रखना और उस परम सत्ता में आस्था रखना जो हमारे सासों की डोर बांधता और तोड़ता है उसका शुक्रिया अदा करना अपने भावो के माध्यम से यही धर्म है बढिया विचार है आपके.
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इस्लामी शरीअत में अक़ीदा का अर्थ: वो वैज्ञानिक बातें जिन पर मुसलमान के लिए अपने दिल में आस्था रखना और बिना किसी सन्देह, शंका और संकोच के उन पर पक्का विश्वास रखना अनिवार्य है, क्योंकि अल्लाह तआला ने उसे उन बातों की अपनी किताब (क़ुर्आन) के द्वारा, या अपने पैग़म्बर सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर अपनी वह्य के माध्यम से सूचना दी है।
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लेकिन धार्मिक आस्था सब का मौलिक अधिकार है और किसी भी धर्म में आस्था रखना उसका निजी स्वतंत्रता का मामला है ना की किसी दबाव का, वंहा वे सभी को इसाई धर्म के अनुयायी बनने पर जोर देते थे हम भी बिना इच्छा के जो वे बोलने के लिए कहते थे वही बोलते थे | वे कहते थे की कोइ भी ईशु से बड़ा नहीं है आप हमेशा ईशु को याद करो | जो वंहा नहीं जाता था उसको एजेंट महाशय लताड़ पिलाते थे | वापस इंडिया भेजने की बात करते थे |
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लेकिन धार्मिक आस्था सब का मौलिक अधिकार है और किसी भी धर्म में आस्था रखना उसका निजी स्वतंत्रता का मामला है ना की किसी दबाव का, वंहा वे सभी को इसाई धर्म के अनुयायी बनने पर जोर देते थे हम भी बिना इच्छा के जो वे बोलने के लिए कहते थे वही बोलते थे | वे कहते थे की कोइ भी ईशु से बड़ा नहीं है आप हमेशा ईशु को याद करो | जो वंहा नहीं जाता था उसको एजेंट महाशय लताड़ पिलाते थे | वापस इंडिया भेजने की बात करते थे |