1 अमेरिकी=22 करोड़ भारतीय मजीठिया वेतन आयोग को लागू करवाए सरकार हमारे गांवों में एक कहावत है कि हर बहे से खर खाए बकरी अँचार खाए अर्थात जो बैल हल में जुते उसके हिस्से घास-भूसा और जो बकरी बैठी-बैठी में-में करती रहे उसके भोजन में स्वादिष्ट अचार.
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मैना ने मैं ना कह्यो मोल भयो दस-बीस, बकरे ने मैं-मैं कह्यो, तभी कटायो शीष का उदाहरण देते हुए कहा कि मैना नामक पक्षी ने यदि खुदी को तिलांजलि देकर मैं-मेरा की बजाय मैं नहीं उच्चारण कर डाला तो उसका मोल बढ़ गया लेकिन इसके ठीक विपरीत बकरे ने में-में कहकर अपने मैंं को जीवित रखा तो बस गर्दन जाना तय हो गया।
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हमारे गांवों में एक कहावत है कि हर बहे से खर खाए बकरी अँचार खाए अर्थात जो बैल हल में जुते उसके हिस्से घास-भूसा और जो बकरी बैठी-बैठी में-में करती रहे उसके भोजन में स्वादिष्ट अचा र. ख ैर, बैलों द्वारा खेती तो बंद हो गयी लेकिन इस कहावत में जो व्यंग्य छिपा हुआ था आज भी अपनी जगह सत्य है और सिर्फ गांवों ही नहीं बल्कि शहरों के लिए भी उतना ही सत्य है.