इन वैज्ञानिकों ने द्वंद्वात्मक भौतिकवादी पद्धति का उपयोग करके एक कण मेसॉन के अस्तित्व की भविष्यवाणी की थी जिसकी वजह से नाभिक के भीतर प्रोटान्स व न्यूट्रान्स बंधे रहते हैं।
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सशक्त बल जिसे प्रायः नाभकीय बल कहा जाता है वास्तव में क्वार्को को आपस में बांधकर बेर्यॉन (तीन क्वार्क) और मेसॉन (एक क्वार्क + एक एन्टी क्वार्क) बनाते है।
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इससे उत्साहित वैज्ञानिकों को 1930 और 40 के दशक में भी लगता था कि हम प्रकृति के रहस्य को समझने के बहुत निकट आ गए हैं, परंतु बाद के वषोंर् में परमाणु के अंदर क्वार्क, ग्लुऑन और मेसॉन आदि अनेक सूक्ष्म कण खोज लिए गए।
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सृष्टि में पदार्थ का कोई अस्तित्व नहीं है जो कुछ भी है वह ऊर्जा ही है और सृष्टि का निर्माण कणों से नहीं हुआ दरअसल वे बहुआयामी ऊर्जा-तंत्रियाँ यानि एनर्जी-स्ट्रिन्ग्स हैं जिनके भिन्न-भिन्न स्पंदनों से भिन्न-भिन्न कणों की उत्पत्ति होती है जिनको कि क्वार्क्स कहते हैं तथा अब मूलकणों की संख्या भी तीन नहीं रह गई है बल्कि फोटॉन, पॉजिट्रॉन,बोसॉन,मेसॉन,पाई-मेसॉन तथा ग्रेविटॉन आदि-आदि।