| 41. | तब शिव ने बृह्मा का मंतव्य जानकर उन्हें मैथुनी सृष्टि प्रारम्भ करने का वरदान दिया ।
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| 42. | यह क्रम इस प्रकार था-मानस सृष्टि, संकल्प सृष्टि, काम संकल्प सृष्टि व मैथुनी सृष्टि।
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| 43. | तब ब्रह्माजी ने सोचा कि परमेश्वर शिव की कृपा के बिना मैथुनी सृष्टि नहीं हो सकती।
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| 44. | प्रयाग वह स्थान है जहा पर ब्रह्मा जी ने अपनी मैथुनी सृष्टि का प्रथम सोपान रखा.
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| 45. | उसी समय आकाशवाणी हुई, जिसके माध्यम से उन्हें मैथुनी सृष्टि का आरम्भ करने का आदेश मिला।
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| 46. | प्रथम मैथुनी क्रम प्रसूति से चला अत: गर्भाधान को प्रसूति व जन्म को प्रसव कहा जाता है।
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| 47. | इससे यह परिलक्षित होता है कि मैथुनी सृष्टि के पहले महाशून्य से अमैथुनी सृष्टि हुई थी.
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| 48. | ८ = काम भाव-स्त्री-पुरुष के संयोग, मैथुनी प्रक्रिया से संतति उत्पन्न करने का मूल-भाव..
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| 49. | ब्रह्माजी ने जब मानवी सृष्टि से प्रजा-वृद्धि में अभीष्ट फल होते न देखा तो मैथुनी सृष्टि प्रारम्भ की।
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| 50. | प्रथम मैथुनी क्रम प्रसूति से चला अत: गर्भाधान को प्रसूति व जन्म को प्रसव कहा जाता है।
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