इसमें पड़ने वाला मसाला, दालचीनी, चीता, गजपीपल, वायविडंग 1-1 कर्ष और और 2-2 कर्ष सुपारी, मुलहठी, लोघ और मोथा लेकर आसव में मिलाया जाता था।
49.
*नागर मोथा, लाल चंदन आक के फूल,चिरायता,दारूहल्दी,रसौता सबको 25,25 ग्रा. लें 3पाव पानी में उबालें आधा पानी रह जाय तो छानकर रख दें उसमे 100ग्रा.शहद मिलाकर दिन में दो बार50-50ग्रा.लें हर प्रकार का प्रदर ठीक होजाताहै।
50.
31 बुखार में जलन:-सोंठ, गन्धबाला, पित्तपापड़ा खस, मोथा, लाल चंदन इनका काढ़ा ठंडा करके सेवन करने से प्यास के साथ उल्टी, पित्तज्वर तथा जलन आदि ठीक हो जाती है।