इसका ग्लायसीमिक इंडेक्स 64 (जो माडियम माना जाता है) और ग्लायसीमिक लोड बहुत कम 2.9 होता है, जिसका मतलब है कि इसके कोर्बोहाइड्रेट बहुत धीरे ग्लूकोज में परिवर्तित होते हैं और इस तरह यह सिकंदर रक्तशर्करा के स्तर को स्थिर रखता है।
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अगर रक्तशर्करा का स्तर इतना कम हो जाता है कि यकृत (लिवर) ग्लाइकोजन के भंडारण को शर्करा में परिवर्तित कर देता है एवं इसे रक्तप्रवाह में निःसृत कर देता है, ताकि मधुमेही अचैतन्यावस्था में रोगी को जाने से रोका जा सके, कुछ समय के लिए ही सही.
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सितंबर 2007 में, युनिवर्सिटी आफ कैल्गेरी और युनिवर्सिटी आप ओटावा द्वारा किये गए एक संयुक्त अक्रमीकृत नियंत्रित अध्ययन में पाया गया कि-टाइप 2 मधुमेह में केवल एयरोबिक या प्रतिरोधी ट्रेनिंग रक्तशर्करा नियंत्रण में सुधार लाती है,लेकिन सुधार सबसे अधिक दोनो की संयुक्त ट्रेनिंग में ही होता है.
44.
रोगी के जीवन में इस रोग में होने वाले लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि शरीर की कौन सी नाड़ियों को क्षति पहुँची है, रोगी को मधुमेह कितने समय से है, रोगी का रक्तशर्करा नियंत्रण कैसा है, क्या वह धूम्रपान व मदिरापान करता है या उसकी जीवनशैली कैसी है।
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• हाइपोग्लाइसीमिया की अनुभूति न होना-जब रक्तशर्करा बहुत कम हो जाती है तो शरीर चक्कर, घबराहट, ठंडा पसीना आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना आदि लक्षणों द्वारा मस्तिष्क से आग्रह करता है कि शरीर में शक्कर के भंडार खाली होने के कगार पर हैं आप जल्दी से शुगर इम्पोर्ट कीजिये।