बालातिसार और रक्तातिसार: बच्चों के अतिसार (दस्त) तथा रक्तातिसार (खूनी दस्त), वमन (उल्टी) और कमजोरी में गूलर का दूध 10 बूंद सुबह और शाम दूध में मिलाकर सेवन कराएं इससे लाभ मिलता है।
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बालातिसार और रक्तातिसार: बच्चों के अतिसार (दस्त) तथा रक्तातिसार (खूनी दस्त), वमन (उल्टी) और कमजोरी में गूलर का दूध 10 बूंद सुबह और शाम दूध में मिलाकर सेवन कराएं इससे लाभ मिलता है।
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यह आंखों के रोग, सीने के दर्द, सूखी खांसी, गुर्दे और तिल्ली के दर्द, सूजन, खूनी बवासीर, खून की खराबी, रक्तातिसार (खूनी दस्त), कमर दर्द एवं फोड़े-फुन्सियों को ठीक करने में लाभकारी होता है।
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उसकी 3 खुराक बनाकर 1-1 मात्रा सुबह, दोपहर शाम दिन में 3 बार प्रयोग करने से 1-2 दिन में ही रक्तातिसार (पेचिश में खून गिरना) बंद होता है।
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* सौंफ, अनारदाना और धनिये का चूर्ण मिश्री में मिलाकर 3-3 ग्राम दिन में 3 से 4 बार लेने से खूनी दस्त (रक्तातिसार) के रोगी का रोग दूर हो जाता है।
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-यदि मल के साथ रक्त आ रहा हो अर्थात रक्तातिसार क़ी स्थिति हो तो आप बस आंवले के स्वरस को दस से बीस ग्राम क़ी मात्रा में पांच ग्राम शहद और ढाई ग्राम घृत के साथ मिलाकर पिलायें इससे लाभ मिलेगा I
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67. रक्तवमन (खूनी की उल्टी):-अनार के पत्तों के लगभग 1 ग्राम का चौथा भाग रस को दिन में 2 बार पिलाने से, रक्तवमन, रक्तातिसार, रक्तप्रमेह, सोमरोग, बेहोशी और लू लगने में लाभ होता है।
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मेथी भूख को बढ़ाती है तथा नपुंसकता, कमजोरी, गठिया (जोड़ों का दर्द), मधुमेह, बाल रोग, कब्ज, अनिद्रा (नींद का कम आना), मोटापा, रक्तातिसार तथा जलन आदि रोगों के लिए यह काफी हितकारी होती है।
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-यदि मल पतला आ रहा हो अर्थात अतिसार (डायरिया) क़ी स्थिति हो तो जामुन के ताजे कोमल पत्तों को पांच से दस ग्राम क़ी मात्रा में एक पाव बकरी के दूध के साथ पिलाने से आमातिसार (आंवयुक्त मल) एवं रक्तातिसार (खून से युक्त मल) में लाभ मिलता है I