रजोदर्शन का समय आमतौर पर बालिकाओं में 12 वर्ष की आयु से प्रारम्भ होता है तथा लगभग 45 से 50 वर्ष की आयु में समाप्त हो जाता है।
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जानते हैं ये शास्त्रोक्त तिथियां-यह दो खास तिथियां या रात्रि स्त्रियों के ऋतुकाल यानी रजोदर्शन के पहले दिन से 16वीं रात्रि तक के काल में आती हैं।
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मात्र रजोदर्शन ही नारित्व का बोध नहीं है पुरुष के मन की कामना जब इंद्रियों से परिलक्षित होती है तब नारी को नारी होने का शाश्वत बोध होता है ।
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मात्र रजोदर्शन ही नारित्व का बोध नहीं है पुरुष के मन की कामना जब इंद्रियों से परिलक्षित होती है तब नारी को नारी होने का शाश्वत बोध होता है ।
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गर्भ-निरोधक-तुलसी पत्र क़े क्वाथ (काढ़े) की यदि एक प्याली प्रतिमास रजोदर्शन क़े बाद तीन दिन तक नियमित रूप से सेवन कराएं तो गर्भ की स्थापना नहीं होती.
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डिम्बग्रंथि के कैंसर के लिए जोखिम कारकों जल्दी रजोदर्शन (12 साल की उम्र से पहले), देर से रजोनिवृत्ति (50 साल की उम्र के बाद), नहीं किया गया गर्भवती, बांझपन, पॉलीसिस्टिक डिम्बग्रंथि सिंड्रोम और
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रजोदर्शन (मेनार्च) अक्सर आपके स्तनों के विकसित होने के दो वर्ष बाद और आपके सामान्य और बगलों के बालों के विकसित होने के 4-6 महीने के बाद होता है।
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के थे के लिए रजोदर्शन और पहले जन्म के समय निवेश के लिए जोखिम बढ़ पाया है, वहाँ यातायात उत्सर्जन के अन्य समय अवधि के लिए स्तन कैंसर के साथ कोई संबंध नहीं था.
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इनके अतिरिक्त रजोदर्शन से गिनी हुई समराशियॉ 4, 6, 8, 10 आदि में गर्भाधान करने से पुत्र और 5, 7, 9 आदि में गर्भाधान करने से पुत्री पैदा होती है।
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ग्रंथों में यह उल्लेख मिलता है कि यदि अशुभ समय या अशुभ योग में स्त्री को प्रथम रजोदर्शन होता है तो संतान सुख में बाधा पड़ती है लेकिन प्रथम रजोदर्शन कब होता है, यह याद रखना आसान काम नहीं है।