तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है।
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तिलचट्टा कीट वर्ग का एक सर्वाहारी, रात्रिचर प्राणी है जो अंधेरे में, गर्म स्थानों में, जैसे रसोई घर, गोदाम, अनाज और कागज के भंडारों में पाया जाता है।
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इनमें शामिल हैं डोगरा चील, शिकरा आदि शिकारी पक्षी, मोर, तीतर, लाल जंगली मुर्गी जैसे जमीन पर रहनेवाले पक्षी, छपका, उल्लू, चुगद आदि रात्रिचर पक्षी, जलमोर, बगुले आदि जलपक्षी।
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चिडियाघर क्षेत्र में 3400 वर्गमीटर में सर्प उद्यान (स्नेक पार्क), 2100 वर्गमीटर में रात्रिचर प्राणी स्थल और 1500 वर्गमीटर में पक्षियों के लिए प्रदर्शन केन्द्र बनाया जाएगा।
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तुम्हारे जॆसे मूर्ख नमाज करे या पूजा इश्वरीय शाक्ति ्का अनुभव करने के कारण नही वरन उल्लू की तरह रात्रिचर होने के कारण स्वधर्म का नियम नही देख पाने के कारण हु ई.
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मैने अपने पुरखों और ग्राम देवता को प्रणाम कर प्रस्थान किया सुनसन सड़क चारो तरफ़ खेत और वृक्षों के झुरुमुट कभी कभी सड़क पर करते हुए रात्रिचर पक्षी, सियार गांव के गांव नींद में थे अगली सुबह के इन्त्जार में!!
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एल्गोरिथ्म में, आई.बी.एस. जैसे अन्य रोगों के रोगनिदान के खिलाफ रक्षा करने के लिए अतिरिक्त परीक्षणों.को शामिल किया जा सकता है जैसे “लाल झंड़े” के लक्षणों में वजन घटने, जठरांत्र संबंधी रक्तस्राव, खून की कमी, या रात्रिचर के, लक्षण शामिल हो सकते हैं.
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पर क्या उल्लू सचमुच मूर्ख है? वैज्ञानिक राय बिल्कुल भिन्न है-वे उल्लू को एक बेहद सजग रात्रिचर प्राणी मानते हैं-उसका मुंह तो देखिये दीगर परिंदों से बिल्कुल अलग उसके “ धीर गंभीर ” से चेहरे पर आंखे बिल्कुल सामने हैं.
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अंकों और गणनाओं के संसार की वह स्वामिनी थी जहां काफ़्का के लिए कोई जगह न थी ; उसे दिन पसन्द था जबकि वह रात्रिचर था ; फ़ेलीस समय और घड़ी की सुइयों को को काबू करती थी जबकि काफ़्का की सारी घड़ियां धीमी थीं या पागलपन की हद तक ते ज.
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घोंघे-यह रात्रिचर दिन के समय मृदा मिश्रण या पौधों के आस-पास छिपे रहते है और रात मे निकलकर फूलों की पंखुङियों को काट देते है इनसे बचाव के लिए स्नेल किल (3 प्रतिशत मेटलडिहाइड गोलिया) बिछा दें या जमीन पर 1 प्रतिशत मेटलडिहाइड का 20 दिन के अंतराल पर छिङकाव करना चाहिए.