उसे लगा कि कुमारी की प्राइवेट डायरी वह क्यों कर पढ़े? और जब वह इस तरह रुग्णावस्था में हो, तब उसकी अनुमति के बिना? क्या यह पाप नहीं है?
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इसके साथ ही कितना ही समय बाल्यावस्था, रुग्णावस्था, वृद्धावस्था एवं अन्य दुखों में व्यतीत हो जाता है, इसके बाद जो थोड़ा बच जात है वह भी निष्फल जो जाता है।
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लेकिन हर बार उस भट्टी की आंच से मैं खुद को निखरा पाती … शायद वह मुझ में और निखार चाहता था … कभी रुग्णावस्था में मुझे अस्पताल भर्ती किया जाता तो वह रात दिन की ड्यूटी देता मुझसे थोडा दूर बाहर..
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उनके साहित्यिक जीवन का अत्यन्त महत्वपूर्ण कार्य सम्भवत: साहित्य अकादमी, नई दिल्ली की हिन्दी पत्रिका ‘ समकालीन भारतीय साहित्य ' का संपादक बनना था जिसे अपनी रुग्णावस्था के चलते भी उन्होंने पूरी निष्ठा, दायित्व, कुशलता और श्रम के साथ निभाया।
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अच्छे-अच्छे खाने, तरह-तरह के मेवे, भाँति-भाँति के फल, सुन्दर सेज, सजे हुए आवास, सुन्दरी रमणी, ऐसे ही और कितने भी सामान रुग्णावस्था में काटे खाते हैं, संसार की सारी सुख विलास की सामग्री मिट्टी हो जाती है-पर क्या रोगग्रस्त होने से पहले कभी हम रुग्ण न होने का विचार करते हैं?
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रोगी की रोगोत्पति में उसकी रुग्णावस्था में उसके कुटुंब को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तथा रोग से या अस्पताल से रोगी के मुक्त हो जाने के पश्चात कौन-सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, उनका रोगी पर क्या प्रभाव होगा आदि रोगी के संबंध की ये सब बातें समाजसेवी के अध्ययन और उपचार के विषय हैं।
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रोगी की रोगोत्पति में उसकी रुग्णावस्था में उसके कुटुंब को किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है तथा रोग से या अस्पताल से रोगी के मुक्त हो जाने के पश्चात कौन-सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा, उनका रोगी पर क्या प्रभाव होगा आदि रोगी के संबंध की ये सब बातें समाजसेवी के अध्ययन और उपचार के विषय हैं।
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जब तक मेरे सुखों के बारे मेरे संबन्धी जान न लें मेरे दुखों के बारे मेरे शत्रु जान ना लें मेरी वृद्धावस्था के बारे में मेरे दोस्त सुन ना लें मेरी रुग्णावस्था के बारे में मेरी बहन सुन ना ले मेरा सड़ा हुआ शव गीध न देख लें मेरा सड़ा हुआ माँस मक्खियाँ न चूस ले मेरी शिराएँ और धमनियाँ कीड़े न खा लें कर ले मेरी काया में कोई और प्रवेश रहे मेरे लहु में लहु न शेष।
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भूख से बिलखते बच्चे को देख उन्होँने उदारता दिखाई एक मानव कल्याण समिति बनाई और भूख पर विस्तृत चर्चा कराई ठण्ड से ठिठुरते, दांत किटकिटाते वस्त्रहीन बच्चे की नग्नता पर भी उन्होँने गोष्ठी आयोजित कराई और नैतिकता की आवश्यकता समझाई गरीब, असहाय बीमार बच्चे की रुग्णावस्था पर उन्होँने बहुत चिंता जताई और इसे स्वस्थ्य के प्रति घोर लापरवाही बताई, बेसहारा, बेघरबार बच्चे की दयनीय स्थिति पर आख़िर उनकी आँख नम हो आई और उन्होँने भारी हृदय से उसकी पीठ थपथपाई और अखबारों मे अपनी फोटो खिंचाई।
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विपत्ति मे या कीचड मे फॅसी हुई या चोर तथा बाघ आदि के भय से व्याकुल गौ को क्लेश से मुक्त कर मनुष्य अवमेधयज्ञ का फल प्राप्त करता है रुग्णावस्था मे गौओ को औषधि प्रदान करने से स्वंय मनुष्य सभी रोगो से मुक्त हो जाता है गौओ को भय से मुक्त कर देनेपर मनुष्य स्वय भी सभी भयो से मुक्त हो जाता हे चण्डाल के हाथ से गौको खरीद लेनेपर गोमेधयज्ञ का फल प्राप्त होता है तथा किसी अन्य के हाथ से गायको खरीदकर उसका पालन करन से गोपालक को गोमेधयज्ञका ही फल प्राप्त होता है।