रुबाई मूलत: चार लाइन की कविता होती है (‘ रुबाइयत ', ' रुबाई ' का उर्दू में बहुवचन है अर्थात एक से अधिक रुबाई या रुबाइयां).
42.
जब सब आ गए, तो पंडित जी ने जोश साहिब को भी बैठने को कहा तथा उनसे फ़रमायश की कि वही रुबाइयां यहां फिर सुनाएं, जो कल रात नशाबंदी पर सुनाई थीं।
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किसी भक्त शिरोमणि को भजन सुनाने-सुनाने में आनंद आता, तो किसी को गुरु ग्रंथ साहब के सबद-कीर्तन में. कुछ को सूफी संतों की रुबाइयां पसंद थीं, तो कुछ आठों याम गीता के श्लोकों पर चिंतन-मनन में मग्न रहते.
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गुलकन्द है मकरन्द है साँसों में आपकी ज़ाफ़रान की सुगन्ध है साँसों में आपकी दुनिया में तो भरे हैं ज़ख्मो-रंजो-दर्दो-ग़म आह्लाद और आनन्द है साँसों में आपकी कितनी है गीतिकाएं, ग़ज़लें और रुबाइयां कितने ही गीतो-छन्द हैं साँसों में आपकी कहीं और ठौर ही नहीं है जाऊंगा कहाँ?
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उमर खैय्याम की रुबाइयां आपको सूफीज्म, जीवन की नश्वरता,रहस्यवाद की ओर ले जाती हैं.कुछ लोगों का मानना है कि उमर स्वयं भी सूफी परंपरा से प्रेरित थे.यह भी बहस का विषय रहा है कि उमर अपनी रुबाइयों के माध्यम से मदिरापान के समर्थन में बोलते हैं या विरोध में.
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` धार्मिक दंगों की राजनीति `, मुरादाबाद दंगों के संदर्भ में लिखी गयी ` रुबाइयां `, ` प्रेम की पाती (घर के बसंता के नाम) `, ` आओ उनकी आत्मा के लिए प्रार्थना करें `, ` हैवां ही सही `, ` यह क्या सुना है मैंने ` और ` ईश्वर अगर मैंने अरबी में प्रार्थना की तो ` जैसी कविताओं, साम्प्रदायिक घटनाओं के संदर्भ में लिखी गयी कविताओं या दूसरी अनेक कविताओं में भी जगह-जगह साम्प्रदायिक परिघटना के संदर्भ और गूंज मौजूद हैं।