गुर्दे के चिरकाली रोग का निवारण अन् य रोगों या कारकों का नियंत्रण करके किया जा सकता है जो गुर्दे के रोग में योगदान कर सकते है।
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पारीक ने आयुर्वेद के सिद्धांत स्वस्थ स्वास्थ्य रक्षणम आतुरस्य विकार प्रशमनम च के बारे में बताया कि आयुर्वेद में बीमार होने पर उसके रोग का निवारण कैसे किया जाए।
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यथा-अपाला के चर्मरोग तथा उसके पिता के खालित्य रोग का निवारण, अंधपरावृज को दृष्टिदान तथा पंगु श्रोणि को गतिदान देने आदि का चमत्कारिक वर्णन मिलता है ।।
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गालव ॠषि की तपोभूमि पर राजा सूरज सेन का आगमन उनका कुष् ट रोग का निवारण और फिर गालव ॠषि के नाम पर ही ग् वालियर के निर्माण का इतिहास सुनायी देता रहा।
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कई औषधियों में तो स्पष्ट निर्देशित होते हैं कि अमुक औषधि अमुक रोग का निवारण तो करेगी परन्तु इसके सेवन से कुछ अन्य अमुक अमुक रोग (साइड इफेक्ट) हो सकते हैं...
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यह अग्नि दीपक है, पाण्डुरोग तथा जीर्णकास निवारक है, किसी भी प्रकार के ज्वर को समूल नष्ट करती है तथा कुष्ठ रोग का निवारण व कृमियों को मारने का कार्य करती है ।
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इल्मेतिब (वैद्यक) शास्त्र है जिससे मानवशरीर की स्वस्थ तथा अस्वस्थ अवस्थाओं का ज्ञान होता है और यह शास्त्र बताता है कि स्वास्थ्य की रक्षा कैसे की जा सती है तथा रोगावस्था में रोग का निवारण कैसे हो सकता है।
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6. आंखों के लिये-पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन 'ए' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी (रात को न दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों में ज्योंति बढ़ती है।
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फल: एसा शास्रोक्त वचन हैं जो व्यक्ति श्रद्धा भाव से तीनोकाल सुबह, संध्या एवं रात्री के समय दारिद्र्य दहन शिवस्तोत्रं का पाठ करते उनके दुख एवं सर्व रोग का निवारण होकर उसे, संपत्ति एवं संतान लाभ प्राप्त होता हैं।
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* पपीता नेत्र रोगों में हितकारी होता है, क्योंकि इसमें विटामिन ' ए ' प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से रतौंधी (रात को न दिखाई देना) रोग का निवारण होता है और आँखों की ज्योति बढ़ती है।