23 जून 2009 को उनका डाइग्नोसिस करने पर उन्हें मल्टीपल मायेलोमा से ग्रस्त पाया गया जो कि प्लाज़्मा कोशिकाओं के रूप में ज्ञात सफ़ेद रक्त कोशिकाओं का एक कैंसर है जो एंटीबॉडी (रोग-प्रतिकारक क्षमता) का उत्पादन करते हैं.
42.
एक बार मरीज के अंदर नैदानिक रूप से महत्वपूर्ण रोग-प्रतिकारक (एंटीबॉडी) विकसित हो गया है तो यह आवश्यक है कि मरीज प्रतिजन निगेटिव समलक्षणी लाल रक्त कोशिकाएं प्राप्त करे जिससे कि भविष्य में आधान संबंधी प्रतिक्रियाएं नहीं हो.
43.
कार्ल लैंडस्टेनर ने देखा कि रक्त का एकत्रीकरण एक रोगक्षमता संबंधी प्रक्रिया है जो उस समय उत्पन्न होता है जब रक्ताधान के प्राप्तकर्ता में दाता रक्त कोशिकाओं के विरुद्ध रोग-प्रतिकारक (ए,बी, ए एवं बी दोनों, या कोई भी नहीं)
44.
एक बार मरीज के अंदर नैदानिक रूप से महत्वपूर्ण रोग-प्रतिकारक (एंटीबॉडी) विकसित हो गया है तो यह आवश्यक है कि मरीज प्रतिजन निगेटिव समलक्षणी लाल रक्त कोशिकाएं प्राप्त करे जिससे कि भविष्य में आधान संबंधी प्रतिक्रियाएं नहीं हो.
45.
सामने कोई व्यक्ति आया, उसमें आदर भाव जगा, योगी ने उसके साथ बातचीत करते हुए अपनी प्राणशक्ति की किरण उसमें फेंकी और उसकी सुषुप्त प्राणशक्ति जगी, रोग-प्रतिकारक शक्ति बढ़ी, कुछ दवा से कुछ दुआ से काम हो गया।
46.
व्यक्ति उस रक्त समूह प्रतिजन से सुग्राही हो चुका होगा यह रोग-प्रतिकारक लाल रक्त कोशिका (red blood cell)s (या अन्य ऊतक कोशिकाओं) की सतह से चिपक सकते हैं, और अक्सर कोशिकाओं के विनाश के लिए अग्रणी हो सकते हैं जब IgM (IgM)
47.
स्तन दूध की एकसेन्ट भी कीमत नहीं होती है और क्योंकि प्रतिरक्षा और रोग-प्रतिकारक उनमें उनकी माँ के स्तन के दूध द्वारा पहुँच जाते हैं, स्तनपान किये शिशु प्रायः उन शिशुओं से कम बीमार होते हैं जो शिशु –आहार ग्रहण करते हैं।
48.
हम एक किलो तो भोजन करते हैं, दो किलो पानी पीते हैं, दस किलो ऊर्जा हम प्राण-वायु से लेते हैं और प्राण-वायु जब इतनी शुद्ध और भव्य हो तो शरीर भी सुदृढ़ रहता है, रोग-प्रतिकारक शक्ति भी बनी रहती है।
49.
एक बार टाइप और प्रकार स्क्रीन पूरा हो जाने पर, संभावित दाता इकाईयों को मरीज के रक्त समूह के साथ संगतता, विशेष आवश्यकताओं (जैसे कि सीएमवी निगेटिव,या विकिरणित या धोया हुआ) एवं प्रतिजन निगेटिव (एक रोग-प्रतिकारक की स्थिति में) के आधार पर चुना जायेगा.
50.
कनाडा की सास्के चेवान यूनिवर्सिटी के औषधी शास्त्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. बॅण्डेल मॅकलोड मनुष्य को प्रकृति की ओर लौट आने का अनुरोध करते हुए कहते हैं कि ” वास्तव में हमें प्रकृति की रोग-प्रतिकारक एवं रोग निवारक शक्तियों में विश्वास रखना चाहिए।