' सक्रिय व निष्क्रिय या लक्षणात्मक वह विलक्षणात्मक-इन दो प्रकार के कर्मों पर संयम पा लेने के बाद मृत्यु की ठीक-ठीक घड़ी की भविष्य सूचना पायी जा सकती है।‘' सोपक्रमं निरूपक्रमं च कर्म तत्संयमादपारान्तज्ञानमरिष्टेभये वा।
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पतंजलि का योग सुत्र-ओशो स्वामी आनंद प्रसाद ' सक्रिय व निष्क्रिय या लक्षणात्मक वह विलक्षणात्मक-इन दो प्रकार के कर्मों पर संयम पा लेने के बाद मृत्यु की ठीक-ठीक घड़ी की भविष्य सूचना पायी जा सकती है।‘'
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अगर पित्ताशय की पित्तपथरियाँ लक्षणात्मक हों और उन्हें दवा द्वारा घुलाया या अल्ट्रासोनिक तरंगों द्वारा छोटे टुकड़ों में तोड़ा नहीं जा पाता तो शल्य चिकित्सा द्वारा पित्ताशय को निकाला जा सकता है, इसे कोलीसिस्टेक्टोमी कहते हैं।
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अगर पित्ताशय की पित्तपथरियाँ लक्षणात्मक हों और उन्हें दवा द्वारा घुलाया या अल्ट्रासोनिक तरंगों द्वारा छोटे टुकड़ों में तोड़ा नहीं जा पाता तो शल्य चिकित्सा द्वारा पित्ताशय को निकाला जा सकता है, इसे कोलीसिस्टेक्टोमी कहते हैं।
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आधुनिक स्वास्थ्य संबंधी देखभाल प्रणाली के अंतर्गत उपचार प्राप्त करने के स्थान पर इस प्रकार से लक्षणात्मक रोगों के लिए परम्परागत तथा तथाकथित रूप से इलाज करने को चुना जाना भी बहुत ही आम देखने को मिलता है।
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-यद्यपि स्वयं ' कष्ट ' का भाव बहुत अच्छा भाव नहीं है इसका अर्थ निकलता है कि यदि कोई कवि कविता में दूरस्थभाव, अन्योक्ति या व्यंजनात्मक या लक्षणात्मक भाव-सौंदर्य प्रस्तुत करता है तो पढने वाले को भाव-सम्प्रेषण का कष्ट होता होगा...
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ओशो, स्वामी आनंद प्रसाद मृत्यु की ठीक-ठीक भविष्य वाणी-पतंजलि 'सक्रिय व निष्क्रिय या लक्षणात्मक वह विलक्षणात्मक-इन दो प्रकार के कर्मों पर संयम पा लेने के बाद मृत्यु की ठीक-ठीक घड़ी की भविष्य सूचना पायी जा सकती है।‘' सोपक्रमं निरूपक्रमं च कर्म तत्संयमादपारान्तज्ञानमरिष्टेभये वा।
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इनकी ख्याति खास तौर पर इनके अंग्रेज़ी भाषा पर किए गए शोध-कार्य से हुई तथा स्वरोच्चारण व शैली-शास्त्र तथा भाषा-शास्त्र का धार्मिक, शिक्षा व चिकित्सालय संबंधी संदर्भों में उपयोग पर कार्य से भी, विशेष तौर पर लक्षणात्मक व रोगोपचार के लक्ष्यों को लेकर भाषाई पहचान की तकनीकों के समूह के विकास पर किए गए काम से।