लाहौर गेट से दर्शक छत्ता चौक में पहुंचते हैं, जो एक समय शाही बाजार हुआ करता था और इसमें दरबारी जौहरी, लघु चित्र बनाने वाले चित्रकार, कालिनों के निर्माता, इनेमल के कामगार, रेशम के बुनकर और विशेष प्रकार के दस् तकारों के परिवार रहा करते थे।
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ओपेन हाऊसइसके अन्तर्गत गाइड के माध्यम से दर्शकों को अभिलेख कक्ष के एक भाग, परिरक्षण और रेप्रोग्राफी यूनिटों को दिखाने के अभिलेखागार संबंधी फिल्म शोदिखानें और "भारत के दुर्ग" संबंघी लघु चित्र प्रदर्शनी आयोजित किए गये, जिसमें दर्शकों की रूचि बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक दुर्गो तथा छोटे किलो सेसंबंधित प्रलेख, फोटोग्राफ और मूल मानचित्र प्रदर्शित किए गये.
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इस महल में ओटोमन काल की शिल्प-कृतियां, शाही कीमती हीरे जवाहरात, शीशे की वस्तुएं, विश्व का सबसे बड़ा हीरा ‘ स्पूनसैलर हीरा, ' प्राचीन काल के चीनी-मिट्टी के नक्काशी किए हुए बर्तन, शाही परिवारों की पोशाकें, लघु चित्र, पैगम्बर मुहम्मद साहब के पवित्र धार्मिक अवशेष, उनकी तलवारे, तीर कमान आदि अनगिनत संग्रहीत चीजे हैं।
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निश्चित यक्षिणी सायुज्य पारद गुटिका इसके अतिरिक्त स्वयं के हाथो से या गुरु के द्वारा निर्मित यक्षिणी का चित्र या विग्रह भी पास में होना चाहिए, इससे ध्यान में अनुकूलता मिलती है.यक्षिणी साधना में यक्षिणी कीलन की गोपनीय क्रिया भी की जाती है,इस क्रिया में भोजपत्र या सफ़ेद कागज पर त्रिगंध से यक्षिणी का लघु चित्र या यन्त्र बनाया जाता है और उस चित्र के मध्य में मूल मंत्र लिखा जाता है.
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इसे खूबसूरत नस्तालिक लिपि में गढ़ा गया है और इसमें ग्यारह लघु चित्र हैं, जो ये दृश्य प्रतिबिंबित करते हैं-(1) कान्हा द्वारा चित्रित बादशाह का चित्र, जिसमें उन्होंने दीवान-ए-हफीज में दरबार लगा रखा है (2) दैवीय संगीत में मग्न कखानका में दरविशेश समा (3) सानवाला द्वारा चित्रित पहाड़ी घाटी में एक राजकुमार का दृश्य, फरूख चेला द्वारा चित्रित एक युवक की तस्वीर, जिसमें वह उद्यान में संगीतज्ञ से संगीत सुन रहा है।