| 41. | शिवपुरी से ऋषिकेश-फिर निकले सहस्र धारा के लिए, पहुंचे लच्छी वाला-पानी के पंख...
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| 42. | घर में माँ और लच्छी के भाई-बहन, रोज लच्छी के आने की राह ताकने लगे थे।
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| 43. | घर में माँ और लच्छी के भाई-बहन, रोज लच्छी के आने की राह ताकने लगे थे।
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| 44. | इस बीच घर से लच्छी के लिए पिता का पत्र आया, कुशल क्षेम लिखी थी।
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| 45. | “ लच्छी, जाओगी कहां, अब तो आप बन्ना सा री लाडली बन चुकी हो।
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| 46. | लच्छी को तो यह भी नहीं मालुम था कि ऋषिकेश का रास्ता जाता किधर से है?
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| 47. | जैसे ये लच्छी है वैसे ही पृथ्वी की धुरी और बनता हुआ गोला हुआ धरती...
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| 48. | रात घिर आई थी, थकी हारी, भूखी प्यासी लच्छी उन बच्चो के बगल में जाकर सो गई।
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| 49. | यही कहा कि एक लच्छी सूत गले में पहना देने से किसी का कुछ आता-जाता नहीं।
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| 50. | लच्छी, वीरपुर, रामनगर तहसील लच्छी, वीरपुर, रामनगर तहसील लच्छी, वीरपुर, रामनगर तहसील लच्छी, वीरपुर, रामनगर तहसील
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