| 41. | लब को तुम्हारे लब से मिलाकर कहे बग़ैर
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| 42. | लब को तुम्हारे लब से मिलाकर कहे बग़ैर
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| 43. | लब रहे ख़ामोश और आँखों ने अफ़साने दिए।
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| 44. | लब ख़ामोश हैं लेकिन धड़कनें ताबिंदा (रोशन) है..
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| 45. | यही गीत लब पे, मेरे हर घड़ी हो,
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| 46. | मौन थे लब तो हृदय ने गीत गाया.....
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| 47. | लब पे शिकवा न ला अश्क़ पी ले
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| 48. | Inदर्द में भी यह लब मुस्करा जाते हैं
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| 49. | बोल कि लब आज़ाद हैं तेरेफ़ैज़ अहमद फ़ैज़
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| 50. | लब जब भी अपने खुले, बोले मीठे बोल।।
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