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लाल हो जाना उदाहरण वाक्य

उदाहरण वाक्य
41.मुझे गुलाबी, नहीं लाल रंग पसंद है | फिर इसने मुझे ये फीका गुलाबी रंग क्यों दिया? जबकी मैं चटक लाल हो जाना चाहता हूँ | और वो देखो, देखो काली साड़ी कितनी उदास है उसे हरा पसंद था | मेरा बस चले तो इक़ दिन इस रंगरेज की दुकान ही बंद करवा दूँ |

42.चर्म (त्वचा) से सम्बंधित लक्षण-त्वचा पर खुजली के साथ लाल रंग की छोटी-छोटी फुंसियां निकलना, पूरी त्वचा का लाल हो जाना, कोढ़ होना, त्वचा पर लाल लकीरे सी पड़ जाना, छालों या फुंसियों जैसा छाजन होना आदि चर्मरोगों के लक्षणों में रोगी को कोमोक्लैडिया डेंटाटा औषधि देने से लाभ मिलता है।

43.शारदा तो शायद छुपा ही जाती अपने दुःख को मगर रोते-रोते गोरे चेहरे का सुर्ख लाल हो जाना उसके दिल की कहानी को, उस कहानी को, उस दर्द को, जो उसके पति ने छुपाने को कहा था,को सरेआम कर रहा था और शारदा की सास भी इस चेहरे को देखते ही भांप गई थी कि कुछ-न-कुछ बात जरूर है.

44.सिर से सम्बंधित लक्षण-रोगी को ऐसा लगना जैसे कि उसका सिर है ही नहीं अथवा सिर का सुन्न हो जाना, सर्दी-जुकाम होने के कारण गले का बन्द हो जाना, चेहरे का गुस्से में लाल हो जाना, बहुत ज्यादा पागलपन होने के साथ कंपन सा होना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को काली ब्रोमैटम औषधि का सेवन कराना लाभदायक रहता है।

45.बुखार से सम्बंधित लक्षण-रोगी के दिमाग में खून का बहाव बहुत तेज हो जाना, हर समय बेहोशी सी छाए रहना, आंखों का बिल्कुल लाल हो जाना, सांस का बहुत तेजी से चलना, रोगी को ऐसा लगना जैसे कि उसके दिमाग में पानी भर गया हो आदि लक्षणों के आधार पर काली आयोडेटम औषधि का प्रयोग कराना रोगी के लिए काफी अच्छा रहता है।

46.सिर से सम्बंधित लक्षण-रोगी को कनपटी में बहुत तेजी से दर्द का होना और इसके साथ ही रोगी का हर चीज को दो-दो रूप में देखना, आंखों से कुछ भी साफ नज़र ना आना, आंखों का बहुत ज्यादा चमकना, चेहरे का गुस्से में लाल हो जाना, बुढ़ापे में सिर के घूमने के कारण चक्कर से आना जैसे लक्षणों में रोगी को स्ट्रोफैन्थस हिस्पिडस औषधि देने से लाभ होता है।

47.स्त्री रोगों से सम्बंधित लक्षण-रोगी स्त्री को पुरुष के साथ संभोग करने के दौरान योनि के रास्ते में बहुत तेज जलन होना, स्त्री की योनि में बहुत खुजली हो जाने के कारण योनि का लाल हो जाना, स्त्री का प्रदर-स्राव (योनि मे से पानी आना) खून के साथ आना जैसे लक्षणों के आधार पर अगर रोगी को स्पाइरैंथिस औषधि दी जाए तो रोगी को काफी लाभ होता है।

48.मूत्र (पेशाब) से सम्बंधित लक्षण-रोगी को बार-बार पेशाब आता रहता है, पेशाब का रंग बिल्कुल काला होना, पेशाब का झाग और बदबू के साथ आना, लिंग के नीचे के हिस्से में कटने-फटने जैसा दर्द होना, मूत्राशय और मूत्रद्वार में दर्द होने के साथ लाल हो जाना, लिंग के आगे की भाग का फूल जाना आदि लक्षणों में रोगी को नैफ्थालिन औषधि का सेवन कराना लाभकारी रहता है।

49.आंखों से सम्बंधित लक्षण-आंखों में आंसुओं की नली से शुरू होकर दर्द का आंखों के चारो ओर की कनपटी तक फैल जाना, आंखों में किसी चीज का चुभना सा महसूस होना, आंख के अंदर के सफेद भाग का लाल हो जाना, आंखों से कम दिखाई देना, पलकों का सूज जाना, पुतलियों में निशान से पड़ जाना आदि लक्षणों के आधार पर रोगी को सिनाबेरिस औषधि दी जाए तो आराम मिलता है।

50.पित्त प्रकोप होने पर जिसमें नेत्रा लाल हो जाना, मुंह तथा हाथ-पैरों पर तुरन्त पसीना आ जाना, शरीर लाल हो जाना, थोड़े समय बाद घबराहट होकर शरीर निस्तेज एवं गरम हो जाना सारे शरीर तथा रक्त वाहिनियों में अति वेग से रक्त प्रवाह बढ़ना, हृदय की गति एवं नाड़ी के वेग में वृद्धि हो जाना, मानसिक बेचैनी होना, त्वचा उष्ण हो जाना आदि पित्त प्रकोप के लक्षण होने पर लौह भस्म अति लाभदायक है।

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