इस विषय में कई व्याख्याएँ प्रस्तुत की गईं हैं कि अलैंगिक जनन से लैंगिक जनन क्यों विकसित हुआ।
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(१) निश्चित परपोषी वह प्राणी है जिसमें परजीवी अपना वयस्क जीवन बिताता है, या लैंगिक जनन करता है,
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जिन प्राणियों में लैंगिक जनन होता है, उनमें डिंब और शुक्राणु दो विभिन्न लिंगवाले प्राणियों में उत्पन्न होते हैं।
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लैंगिक जनन के लिए दो जनकों की आवश्यकता होती है और इसमें समसूत्रण के अतिरिक्त अर्धसूत्रण और निषेचन की क्रियाएँ होती हैं।
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प्रजनन की वह क्रिया जिसमें दो युग्मकों के मिलने से बनी रचना युग्मज (जाइगोट) द्वारा नये जीव की उत्पत्ति होती है, लैंगिक जनन (
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लैंगिक जनन द्वारा नर और मादा युग्मक पैदा करनेवाले पौधों के गुण नए, छोटे पौधों में उत्पन्न होने के विज्ञान को आनुवंशिकी (genetics) कहते हैं।
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इसके अंतर्गत लैंगिक जनन की विधि में जब से युग्मक बनते हैं और गर्भाधान के पश्चात् भ्रूण का पूरा विस्तार होता है तब तक की दशाओं का अध्ययन किया जाता है।
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5. भ्रूणविज्ञान (Embryology)-इसके अंतर्गत लैंगिक जनन की विधि में जब से युग्मक बनते हैं और गर्भाधान के पश्चात् भ्रूण का पूरा विस्तार होता है तब तक की दशाओं का अध्ययन किया जाता है।