| 41. | के लोकरंजन में नृत्य के साथ-साथ
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| 42. | लोकरंजन में कलात्मक रुचि को जाग्रत
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| 43. | मिली, जिससे लोकरंजन की दिशा में
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| 44. | प्रभावों के बावजूद लोक अपने लोकरंजन
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| 45. | लिए और अपने लोकरंजन इस भूमि
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| 46. | तरह लोकरंजन का अपना इतिहास निर्मित
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| 47. | के लोकरंजन की लोकप्रतिष्ठा का पता
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| 48. | लोकरंजन, काव्यानन्द आत्मानन्द संस्कृत नाटक का अभिन्न अंग रहे हैं।
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| 49. | तक पुराने और नये लोकरंजन साथ-साथ
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| 50. | उन्होंने लोकरंजन और लोकरक्षण का अपना कविधर्म निभाते हुए अनेक
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