गरीबी से गरीबी की इस खानाबदोश यात्रा के दौरान ही गिरीश ने अपने सामाजिक यथार्थ के कठोर पाठ पढ़े और साहित्य, लोक रंगमंच और वाम राजनीति की बारीकियां भी समझीं.
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आजकल लोक रंगमंच कि चर्चा है ‘ ' अलख नंदन के ‘'नत बुंदेले''(भोजपुरी) से लेकर,भिखारी ठाकुर लिखित संजय उपाध्याय द्वारा निर्देशित बिदेसिया,जिसमे चैती का बहुत आकर्षक स्तेमाल किया गया है..
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गरीबी से गरीबी की इस खानाबदोश यात्रा के दौरान ही गिरीश ने अपने सामाजिक यथार्थ के कठोर पाठ पढ़े और साथ ही साहित्य, लोक रंगमंच और वाम राजनीति की बारीकियाँ भी समझीं।
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लोक रंगमंच में यह होता है कि जिस भी अभिनेता या अभिनेत्री के पास बहुत प्रतिभा होती है, वह सब पर छा जाता है और वह उसी चरित्र के नाम से जाना जाने लगता है.
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' आधुनिक रंगमंच का लोक रंगमंच से रिश्ता ' इस विषय पर आयोजित परिसंवाद में पटना से ऋषिकेश सुलभ, लखनऊ से राकेश तथा वेदा राकेश, कोलकाता से प्रवीर गुहा ने अपने सारगर्भित वक्तव्य दिए।
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दे. रा. अ...... लोक रंगमंच इतिहास के ख़ास दौर में, विशेष रूप से मध्य काल में, जब शास्त्रीय नाटक परंपरा समाप्त होने को आई थी, तभी अवतरित हुआ था।
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चित्रकार और लेखक अशोक भौमिक ने बादल दा के काम के बारे में विस्तार से बताया … बादल दा कहते थे कि लोक रंगमंच और शहरी रंगमंच दोनों को बहुत प्रभावशाली होना चाहिए, तभी तीसरे रंगमंच की कल्पना की जा सकती।
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कश्मीरी लोक रंगमंच और अभिनय कला को प्रोत्साहन देने वाले मजबूर को केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, राज्य कला, संस्कृति, एवं भाषा अकादमी, कश्मीर विश्वविद्यालय और जम्मू कश्मीर सरकार के शिक्षा विभाग ने पुरस्कृत और सम्मानित किया था।
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कश्मीरी लोक रंगमंच और अभिनय कला को प्रोत्साहन देने वाले मजबूर को केन्द्रीय सूचना प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार, राज्य कला, संस्कृति, एवं भाषा अकादमी, कश्मीर विश्वविद्यालय और जम्मू कश्मीर सरकार के शिक्षा विभाग ने पुरस्कृत और सम्मानित किया था।
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संपादकीय दृष्टिहीनता का इससे बड़ा नमूना क् या हो सकता है कि जब हाल में लोक रंगमंच के पितामह कहे जाने वाले प्रख् यात रंगकर्मी हबीब तनवीर का निधन हुआ, तो कथित साहित्यिक पत्रिका कादंबिनी में श्रद्धांजलि स् वरूप एक पंक्ति तक उन पर नहीं छपी।