वणिक् वृत्तिा का पोषण एवं विविधा व्यवसायों का परिचालन इस समय जिस प्रकार होता है, लक्ष्मी देवी की आराधाना जैसी होती है वह अविदित नहीं।
42.
कथा में शतानंद ब्रह्मण, लकड़हारा, उल्कामुख राजा, साधु वणिक् और तुग्ध्वज राजा का दृष्टांत देकर हमें सत्यव्रत के पालन की प्रेरणा दी गयी है।
43.
मार्ग में एक वणिक् सुंदरी को देख कामासक्त हुए और द्वार पर पहुँच इन्होंने उसके पति से उस स्त्री को आँख भर देखने की इच्छा प्रकट की।
44.
कथा में शतानंद ब्राह्मण, लकड़हारा, उल्कामुख राजा, साधु वणिक् और तुंध्वज राजा का दृष्टांत देकर हमें सत्यव्रत के पालन की प्रेरणा दी गई है।
45.
वे अपने कर्तव्य या धर्म का कोई विचार नहीं करते, इसी कारण हमारे वणिक् धनवान् होने पर भी असंतुष्ट बने रहते हैं और जीवन को शांतिमय नहीं बना पाते।
46.
लकड़हारों की कथा 4. साधु वणिक् एवं जामाता की कथा 5. लीलावती और कलावती की कथा-यानी आगे पांच पोस्ट बनाने का मसाला बनता है!
47.
वे अपने कर्तव्य या धर्म का कोई विचार नहीं करते, इसी कारण हमारे वणिक् धनवान् होने पर भी असंतुष्ट बने रहते हैं और जीवन को शांतिमय नहीं बना पाते।
48.
स्टीमरों के आगमन के पूर्व निश्चित मार्गों पर चलनेवाले बड़े जहाजों के स्वामी विशेष व्यापारों में लगे धनी वणिक् हुआ करते थे, किंतु अधिकतर जहाजों में अनेक आदमियों का हिस्सा हुआ करता था।
49.
स्टीमरों के आगमन के पूर्व निश्चित मार्गों पर चलनेवाले बड़े जहाजों के स्वामी विशेष व्यापारों में लगे धनी वणिक् हुआ करते थे, किंतु अधिकतर जहाजों में अनेक आदमियों का हिस्सा हुआ करता था।
50.
कभी कभी स्वार्थ की भावना इतनी प्रबल हो जाती है कि वणिक् लोग वस्तुओं में मिलावट करके बेचते हैं, माल के तौलने में बेईमानी करते हैं और झूठे विज्ञापन देकर अथवा चोरबाजारी करके अपने ग्राहकों को ठगने का प्रयत्न करते हैं।