प्रवासी पक्षियों ने गत वर्ष माह सितम्बर-अक्टूबर में हजारों किलोमीटर दूर से आकर यहां तालाबशाही, उर्मिला सागर बांध, रामसागर बांध व वनविहार में परम्परागत उपस्थिति दर्ज करा ई...
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श्री दाऊजी ने द्वारका से आकर, वसन्त ऋतु के दो मास व्रज में बिताकर जो वनविहार किया था तथा उस समय यमुनाजी को खींचा था, यह परिक्रमा उसी की स्मृति है।
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श्री दाऊजी ने द्वारका से आकर, वसन्त ऋतु के दो मास व्रज में बिताकर जो वनविहार किया था तथा उस समय यमुनाजी को खींचा था, यह परिक्रमा उसी की स्मृति है।
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श्री दाऊजी ने द्वारका से आकर, वसन्त ऋतु के दो मास व्रज में बिताकर जो वनविहार किया था तथा उस समय यमुनाजी को खींचा था, यह परिक्रमा उसी की स्मृति है।
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श्री दाऊजी ने द्वारका से आकर, वसन्त ऋतु के दो मास व्रज में बिताकर जो वनविहार किया था तथा उस समय यमुनाजी को खींचा था, यह परिक्रमा उसी की स्मृति है।
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अन्य वन्य प्रयोजनों और सेवाओं जैसे वनविहार, स्वास्थ्य, कुशलता, जैवविविधता, पारिस्थतिकी तंत्र सेवाओं का प्रबंधन, जलवायु परिवर्तन का उपशमन अब वनों की महत्ता के अंग समझे जाने लगे हैं।
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भोपाल के वन्य प्राणियों को देखने के लिए अब तक वन्य प्रेमी वनविहार उस वक्त जाते थे जब यहां खाना परोसा जाता था, लेकिन अब पर्यटक वनविहार के अंदरूनी हिस्सों में जाकर वन्य प्राणियों को करीब से देख सकेंगे।
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भोपाल के वन्य प्राणियों को देखने के लिए अब तक वन्य प्रेमी वनविहार उस वक्त जाते थे जब यहां खाना परोसा जाता था, लेकिन अब पर्यटक वनविहार के अंदरूनी हिस्सों में जाकर वन्य प्राणियों को करीब से देख सकेंगे।
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देवशयनी और देवोत्थापनी एकादशी को मथुरा-गरुड गोविन्द्-वृन्दावन् की एक साथ परिक्रमा की जाती है|यह परिक्र्मा २१ कोसी या तीन वन की भी कही जाती है| वैशाख शुक्ल पूर्णिमा को रात्रि में परिक्रमा की जाती है, जिसे वनविहार की परिक्रमा कहते हैं।
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पर्यटन कि दृष्टि से प्रमुख स्थान हैं-ताड़केश्वर शिव मंदिर, वृंदावन, खानवेल का हिरण पार्क, वाणगंगा झील और द्वीप उद्यान, दादरा; वनविहार उद्यान, लघु प्राणी विहार, बाल उद्यान, आदिवासी म्यूजियम और सिलवासा स्थित हिरवावन उद्यान/धुधानी में जलक्रीड़ा स्थल का काम पूरा हो चुका है|