शनै: शनै: वाचाघात की उत्पत्ति मिर्गी, अधकपारी, रक्तमूत्रविषाक्तता (uracmia), उन्मादी का व्यापक पक्षाघात (general paralysis of the insane), जो उपदंश की चतुर्थ अवस्था में उपद्रव स्वरूप होता है, तथा मस्तिष्कशोथ, तंद्रा (encephalitis lethargia) इत्यादि कारणों से होती है।
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जब दिमाग के दायें आधे गोले में पक्षाघात का अटैक या अन्य रोग आता है तो शरीर के बायें आधे भाग में लकवे के साथ-साथ बोली या भाषा पर कोई असर नहीं पडता, वाचाघात / अफेजिया नहीं होता।
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दायाँ हो या बायाँ ; सीधा हो या उल्टा: वाचाघात से उसका क्या सम्बन्ध? अधिकांश लोग (लगभग ९ ० %) दैनिक जीवन के कामकाज में दाहिने हाथ का उपयोग अधिक करते हैं बजाय कि बायें हाथ के ।
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वाचाघात के मुख्य कारण मस्तिष्क का आम्बोसिस, रक्तस्रोतरोधन (embolism), अर्बुद (tumour), फोड़े (abscess) इत्यादि हैं, जो यदि मस्तिष्क के दाहिने गोलाध्र में हों तो शरीर का बायाँ भाग और यदि मस्तिष्क के बाएँ गोलार्ध में हों, तो शरीर का दाहिना भाग आक्रांत होता है।
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अर्बुद की स्थिति और उसके आसपास की मस्तिष्क रचनाओं को संपीड़न या अंतःसंचरण के द्वारा पहुंची क्षति के अनुसार किसी भी तरह के केन्द्रित नाड़ीतंत्रीय लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं जैसे, बोध और बर्ताव में कमी, व्यक्तित्व में बदलाव, शरीर के एक पार्श्व का आंशिक पक्षाघात, दर्द की अनुभूति, मंन कमी, वाचाघात, गतिविभ्रम, दृष्टिक्षेत्र में कमी, चेहरे का पक्षाघात, द्विदृष्टिता, कम्पन आदि.
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इस क्षेत्र में शामिल पेशेवरों की विविधता: भाषण चिकित्सक, विशेष शिक्षा के शिक्षकों, व्यावसायिक चिकित्सक, मनोवैज्ञानिक, डॉक्टर, और प्रौद्योगिकी और प्रौद्योगिकी के बढ़ते विकास विकलांग लोगों के लिए लागू में विशेषज्ञों की जरूरत के लिए उच्च प्रशिक्षित बढ़ा विशेष, एक अंतःविषय दृष्टिकोण से, विशेष संचार जरूरतों के साथ लोगों के रूप में विषम रूप जनसंख्या के मांगों को पूरा करने की अनुमति: सेरेब्रल पाल्सी, आत्मकेंद्रित, मानसिक मंदता, वाचाघात, dysphasia, पागलपन, अपक्षयी रोग, चोट मस्तिष्क, आदि...