| 41. | वादीगण ने प्रश्नगत आराजी में वादपत्र के साथ संलग्न मानचित्र में अक्षर अ, ब, स, द, से दिखाया है।
|
| 42. | वादपत्र के अन्त में वर्णित आराजी वादी तथा प्रतिवादीगण की पैतृक सम्पत्ति हैं, प्रतिवादी संख्या-1 की उपार्जित सम्पत्ति नही है।
|
| 43. | अपने वादपत्र में वादीगण गोविन्द चंद और मोहन चंद ने यह कथन लिया है कि वादी आपस में सगे बिरादर है।
|
| 44. | अब यह देखना आवश्यक है कि अपीलार्थी / वादी द्वारा वादपत्र में कहे गये उपरोक्त कथनों को कहॉ तक सिद्व किया गया है।
|
| 45. | उसके द्वारा दो बार न्यायालय से प्रति वादपत्र प्रस्तुत करनें हेतु समय चाहागया, किन्तु बाद में प्रतिवादपत्र प्रस्तुत नही किया गया।
|
| 46. | (जैसा कि वादी के वादपत्र के पैरा सं0-2-4 में उल्लिखित किया गया है) 2-क्या प्रतिवादिनी सं0-2 विवादित मकान की किरायेदार है।
|
| 47. | प्रतिवादीगण द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके वादपत्र के अभिकथनो से इन्कार किया है और कहा है कि नक्शा नजरी वादपत्र गलत है।
|
| 48. | प्रतिवादीगण द्वारा जबाबदावा प्रस्तुत करके वादपत्र के अभिकथनो से इन्कार किया है और कहा है कि नक्शा नजरी वादपत्र गलत है।
|
| 49. | यह स्पष्ट किया जाता है कि वादपत्र में वादीगण द्वारा गौरी सिंह के परिवार का कोई सजरा नहीं दिया गया है।
|
| 50. | वादपत्र के चरण संख्या-1 में इस प्लाट 584 के पश्चिम में सुदामा सिंह की आबादी व वादीगण का रास्ता दर्शाया है।
|