बज के अन्तर्गत यह आवष्यक है कि जितने भी अनुतोष वाद में मांगे गए हैं और उनके सन्दर्भ में जो मूल्यांकन किया गया है उन सभी का योग वाद का मूल्यांकन तय करेगा और प्रस्तुत केस में जो अनुतोष चाहे गए हैं और उनके सन्दर्भ में जो वाद का मूल्यांकन किया गया है उसका योग किया जाना चाहिए था।
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ऐसी स्थिति में निगरानीकर्तागण का यह कथन कि प्रश्नगत वाद का मूल्यांकन विवादित भूमि की बाजारू कीमत पर किया जाना चाहिए था, उचित नहीं है, क्योंकि कृषि भूमि के संबध में यदि कोई विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है, तो उस दशा में वाद दायर करने के लिए वाद का मूल्यांकन कृषि भूमि के वार्षिक लगान पर ही किया जाएगा।
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ऐसी स्थिति में निगरानीकर्तागण का यह कथन कि प्रश्नगत वाद का मूल्यांकन विवादित भूमि की बाजारू कीमत पर किया जाना चाहिए था, उचित नहीं है, क्योंकि कृषि भूमि के संबध में यदि कोई विक्रय पत्र निष्पादित किया गया है, तो उस दशा में वाद दायर करने के लिए वाद का मूल्यांकन कृषि भूमि के वार्षिक लगान पर ही किया जाएगा।
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प्रत्यर्थी से याची की कोई सन्तान नही है और इस याचिका को प्रस्तुत करने मे उनकी आपस मे कोई मिली भगत नही है प्रत्यर्थी याची से गर्भवती नही है अतः याची ने वाद का मूल्यांकन कर वर्तमान याचिका दिनॉक-25. 6.09 को प्रस्तुत किया है एवं न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि उभय पक्ष के मध्य हुये विवाह का विघटन कर दिया जाय।
45.
जहां तक वाद बिन्दु संख्या-4 व 5 के सम्बन्ध में दिए गए निष्कर्ष का प्रश्न है, इस सम्बन्ध में अपीलार्थीगण की ओर से यह बहस की गयी कि चन्द्रेश दत्त ने अपीलार्थी/प्रतिवादीगण के हक में बयनामा दिनांक-24.8.1993 को किया, जबकि प्रत्यर्थी/वादीगण ने यह वाद 2006 में दायर किया है, इसलिए वाद काल बाधित है तथा वाद का मूल्यांकन भी कम किया गया है।
46.
) में यह स्पष्ट प्राविधान किया गया है कि जहां वाद में किसी ऐसी भूमि, बिल्डिंग, गार्डन के कब्जे के लिए अनुतोष मांगा गया हो और जहां पर वह भूमि राजस्व अभिलेखों में दर्ज हो और मालगुजारी अदा करते हों, उस स्थिति में उस मालगुजारी के वार्षिक लगान के 30 गुने के आधार पर वाद का मूल्यांकन करना होगा और तद्नुसार न्यायशुल्क अदा होगा।
47.
अवर न्यायालय द्वारा यह निष्कर्ष दिया गया कि वाद बिन्दु संख्या-2 के निस्तारण में यह स्पष्ट हो गया है कि वादी के द्वारा अपने वाद का मूल्यांकन सही प्रकार से किया गया है तथा उचित न्यायालय शुल्क अदा किया गया है, ऐसी दशा में वादी का वर्तमान वाद विधि के अंतर्गत पोषणीय है और तद्नुसार वाद बिन्दु संख्या-3 नकारात्मक रूप से प्रतिवादी के विरूद्ध निस्तारित कर दिया गया।
48.
निस्तारण विवाद्यक संख्या-9 33-प्रतिवादीगण द्वारा अपने प्रतिवाद पत्र के प्रस्तर 26 मे कहा गया है कि वादी ने वाद का मूल्यांकन अधिक किया है परन्तु अपने इस कथन के समर्थन मे प्रतिवादीगण ने न तो कोई सबूत प्रस्तुत किया है और न ही अपने मौखिक साक्ष्य मे ही कोई साक्ष्य दिया है जिसके फलस्वरूप विवाद्यक संख्या-9 साबित नही होता है अतः इस विवाद्यक का निस्तारण प्रतिवादीगण के विरूद्ध किया जाता है।
49.
अतः वादी ने वाद का मूल्यांकन कर एवं न्यायालीय षुल्क अदा कर दिनॉक 2. 5.2008 को वर्तमान वाद प्रस्तुत करते हुये न्यायालय से अनुतोश चाहा है कि प्रष्नगत दुकान से प्रतिवादी की बेदखली की डिक्री पारित करते हुये माह मई, 2006 से माह अप्रैल, 2008 तक का अवषेश किराया व हर्जाना रूपये 10,078/-तथा वाद प्रस्तुत करने की तिथि से प्रष्नगत दुकान का कब्जा प्राप्त होने की तिथि तक रूपये 14.00 प्रतिदिन जाय।
50.
अदा करते हुये दिनॉक इस विषेश वादनी ने वाद का मूल्यांकन रूपये 5, 24,291.12पैसे करते हुये एवं उस पर रूपये 200/-न्यायालीय षुल्क 10.11.05 को वर्तमान वाद प्रस्तुत किया है एवं न्यायालय से अधिगृहित सम्पत्ति के प्रतिकर रूपये 5,24,291.12पैसे, जो आषय का घोशणात्मक अनुतोश चाहा है कि स्व0 ग्वाणूदास की भूमि अध्याप्ति अधिकारी कार्यालय नई टिहरी, टिहरी गढवाल मे ग्वाणूदास के नाम जमा है, को वादनी तथा तरतीवी प्रतिवादीगण संख्या-2 से 5 प्राप्त करने की अधिकारी है।