वादिनी द्वारा विवादित भूमि 156 मि. के अंश 0.017 हे0 के सम्बन्ध में अनुतोष चाहा गया है, जिसकी चौहद्दी स्पष्ट रूप से वादिनी ने अपने वाद-पत्र के अन्त में तथा नक्शा-नजरी में अंकित किया है, उक्त चौहद्दी वादिनी को निर्गत मूल पट्टा से मेल खाती है तथा उक्त चौहद्दी की पुष्टि पत्रावली पर दाखिल कमिश्नर आख्या के नक्शा-नजरी से भी हो रही है।
42.
प्रतिवादी सं0-2 द्वारा अपना जबावदावा 18ग के रूप में प्रस्तुत किया गया है और वाद-पत्र के अभिकथनों से इंकार किया गया है तथा अतिरिक्त कथन में कहा गया है कि वादी द्वारा फर्जी कहानी गढ़ के इलाका पुलिस को मिलाकर प्रतिवादी की अनुपस्थिति में दिनांक-24. 10.2007 को विवादित मकान का ताला तोड़कर कब्जा कर लिया गया तथा 10,000/-रूपया भी लूट लिया गया जिसका दांण्डिक वाद न्यायालय में लंम्बित है।
43.
वाद संख्या 15 / 2005 में यह प्रतिकार चाहा गया है कि निशेधाज्ञा के माध्यम से प्रतिवादीगण को वंचित किया जाये कि प्रतिवादीगण विवादित रास्ता (कच्चा मार्ग) जिसको नक्षा नजरी वाद-पत्र में दर्षाया गया है, के किसी भी भाग में कोई गेट अथवा किसी भी प्रकार से उक्त रास्ते में कोई अवरोध उत्पन्न कर ग्रामवासियों के द्वारा उक्त रास्ते को सार्वजनिक रास्ते के रूप में प्रयोग करने में कोई बाधा उत्पन्न करने एवं कराने से बाज रहे।
44.
वाद-पत्र संशोधन करके प्रार्थना की गयी है कि दौरान मुकदमा प्रतिवादीगण वाद-ग्रस्त भूमि के अंश पर जिसे नक्शा-नजरी में लाल रंग से घेरकर अक्षर प, फ, ब, भ, से प्रदर्शित किया गया है, उत्तरी भाग में 65 गुणा 15 फिट उत्तर-दक्षिण लम्बाई 65 फिट, पूरब पश्चिम चौड़ाई 15 फिट क्षेत्र में न्यायालय द्वारा पारित अंतरिम निषेधाज्ञा का उल्लंघन करके दौरान मुकदमा नवम्बर 2003 में अनाधिकृत निर्माण कर लिया है जिसे जरिये आज्ञापक व्यादेश ध्वस्त करा देने के लिए वादीगण को अधिकार है।
45.
प्रतिवादीगण को जरिये स्थायी व्यादेश आदेशित किया जाता है कि वाद-पत्र के साथ संलग्न मानचित्र में लाल रेखा व प, फ, ब, भ, अक्षरों से प्रदर्शित विवादित भूमि व उसमें स्थित सार्वजनिक मार्ग, होलिका स्थान, वृक्ष आदि पर कब्जा, हस्तक्षेप, कोई निर्माण आदि न करें और भूमि के सार्वजनिक उपयोग में कोई बाधा उत्पन्न न करें, तथा भूमि की भौतिक स्थिति को न बदलें, न ही भूमि के ऊपर होकर बहने वाले नाले के पानी के बहने अथवा सार्वजनिक मार्ग से आवागमन में कोई बाधा डाले तथा गलत/मिथ्या प्रतिनिधित्व करके विवादित भूमि का विक्रय न करें।
46.
प्रार्थना पत्र 6ग द्वारा वादीगण मय शपथ पत्र 7ग इस आशय से दिया गया हे कि दौरान मुकदमा प्रतिवादी सं0-1 को अस्थायी निषेधाज्ञा द्वारा मना किया जाय कि वह बलपूर्वक अवैधानिक तरीके से वाद-पत्र में अंकित विवरण एवं संलग्न नजरी नक्शा वाद-पत्र में दर्शित शब्द अ. ब. स. द. भूमि भवन अथवा उसके किसी अंश को बलपूर्वक कब्जा न करें, बिना न्यायिक बंटवारा के वादीगण को बेदखल न करें, वादग्रस्त भूमि की स्थिति यथावत न्यायहित में बनाये रखे, अन्यथा प्रश्नगत मूलवाद संस्थित करने का उद्वेश्य विफल हो जायेगा और वादीगण नैसर्गिक न्याय प्राप्त करने से वंचित हो जायेगे।
47.
प्रार्थना पत्र 6ग द्वारा वादीगण मय शपथ पत्र 7ग इस आशय से दिया गया हे कि दौरान मुकदमा प्रतिवादी सं0-1 को अस्थायी निषेधाज्ञा द्वारा मना किया जाय कि वह बलपूर्वक अवैधानिक तरीके से वाद-पत्र में अंकित विवरण एवं संलग्न नजरी नक्शा वाद-पत्र में दर्शित शब्द अ. ब. स. द. भूमि भवन अथवा उसके किसी अंश को बलपूर्वक कब्जा न करें, बिना न्यायिक बंटवारा के वादीगण को बेदखल न करें, वादग्रस्त भूमि की स्थिति यथावत न्यायहित में बनाये रखे, अन्यथा प्रश्नगत मूलवाद संस्थित करने का उद्वेश्य विफल हो जायेगा और वादीगण नैसर्गिक न्याय प्राप्त करने से वंचित हो जायेगे।