दक्षिाणावर्ती श्ंाख वामावर्ती शंख गणेश शंख गौमुखी शंख कौड़ी शंख मोती शंख दक्षिणावर्ती शंख: जो शंख दाहिनी (दक्षिण) ओर खुलता है, दक्षिणावर्ती शंख कहलाता है।
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इसमें वामावर्ती पूजा, यज्ञ आदि में, दक्षिणावर्ती अन्तः औषधि के रूप में, हेममुख बाह्य औषधि के रूप में, पुन्जिका विशानुघ्ना एवं नारायण दर्शन के लिये.
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प्रकृति में टरपीन बहुधा प्रकाशसक्रिय, दक्षिणावर्ती और वामावर्ती दोनों, रूपों में पाए जाते हैं, जब कि पौधों के अन्य प्राकृतिक उत्पाद, शर्कराएँ, ऐलकालॉयड, ऐमिनो अम्ल आदि सामान्यत: एक ही सक्रिय रूप में पाए जाते हैं।
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आकृति के अनुसार इन्हें तीन श्रेणियों में रखा गया है-दक्षिणावर्ती शंख अर्थात् दायें हाथ से पकड़ा जाने वाला, वामावर्ती अर्थात् वायें हाथ से पकड़ा जाने वाला तथा मध्यावर्ती अर्थात् बीच में खुले मुह वाला शंख।
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प्रकृति में टरपीन बहुधा प्रकाशसक्रिय, दक्षिणावर्ती और वामावर्ती दोनों, रूपों में पाए जाते हैं, जब कि पौधों के अन्य प्राकृतिक उत्पाद, शर्कराएँ, ऐलकालॉयड, ऐमिनो अम्ल आदि सामान्यत: एक ही सक्रिय रूप में पाए जाते हैं।
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ऐसे में किसी दिशा विशेष का विस्तार कम हो या दिशा विपरीत हो विशेष तौर पर जब सीढ़ियों की दिशा वामावर्ती हो या घर के सम्मुख कोई वेध हो या निर्माण की दिशा विपरीत हो तो दर्पण विशेष रूप से वास्तु दोष को बिना तोड़ फोड़ दूर करता है