इन क्रेनों के लिये भाप बनाने का वाष्पित्र (boiler) या तो क्रेन के साथ ही लगी रहता है, अथवा एक वाष्पित्र से ही अनेक क्रेनों को भाप दी जाती है।
42.
इस इंजन के लिये क्रेन पर जो वाष्पित्र लगाया जाए उसका तापक्षेत्र उस वाष्पित्र से, जो इसका बराबर भाप देने के लिये आवश्यक है, 1/4 भी हो तो काम ठीक चल जायेगा।
43.
इस इंजन के लिये क्रेन पर जो वाष्पित्र लगाया जाए उसका तापक्षेत्र उस वाष्पित्र से, जो इसका बराबर भाप देने के लिये आवश्यक है, 1/4 भी हो तो काम ठीक चल जायेगा।
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इस इंजन के लिये क्रेन पर जो वाष्पित्र लगाया जाए उसका तापक्षेत्र उस वाष्पित्र से, जो इसका बराबर भाप देने के लिये आवश्यक है, 1/4 भी हो तो काम ठीक चल जायेगा।
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इस इंजन के लिये क्रेन पर जो वाष्पित्र लगाया जाए उसका तापक्षेत्र उस वाष्पित्र से, जो इसका बराबर भाप देने के लिये आवश्यक है, 1/4 भी हो तो काम ठीक चल जायेगा।
46.
यदि एक स्थान पर कई क्रेनों को काम करना है तो हर एक के लिये अलग अलग वाष्पित्र देने से लागत अधिक आएगी और हर क्रेन को चलाने में समय भी अधिक लगेगा।
47.
यदि एक स्थान पर कई क्रेनों को काम करना है तो हर एक के लिये अलग अलग वाष्पित्र देने से लागत अधिक आएगी और हर क्रेन को चलाने में समय भी अधिक लगेगा।
48.
इसके लिए कोयले को जलाकर वाष्पित्र (boiler) में भाप तैयार की जाती है और इस भाप का उपयोग मूल चालक, जैसे भाप टरबाइन या भाप इंजन को चलाने के लिए किया जाता है।
49.
जब निम्नदाब भाप की मात्रा माँग से बहुत कम हो जाती है, तब इस कमी को पूरा करने के लिए वाष्पित्र से भाप की दाब को कम करके टरबाइन में भेजा जाता है।
50.
उद्दीप्त खनिज तेल ज्वालक का सिद्धांत यह है कि एक वाष्पित्र में दबाव के साथ द्रव खनिज तेल का अंत: क्षेप होता है, जहाँ वह कुछ गौण जेटों द्वारा गरम होकर वाष्प बन जाता है।