| 41. | ये किसने प्यार से बोसा रखा है माथे पर कि रंग, ख़ुशबू, घटा, फूल, मन में लौट आए वाह! वाह! वाह! वाह!
|
| 42. | ये किसने प्यार से बोसा रखा है माथे पर कि रंग, ख़ुशबू, घटा, फूल, मन में लौट आए वाह! वाह! वाह! वाह!
|
| 43. | ये किसने प्यार से बोसा रखा है माथे पर कि रंग, ख़ुशबू, घटा, फूल, मन में लौट आए वाह! वाह! वाह! वाह!
|
| 44. | 1) तेरे प्यार में पागल हो गया पीटर..... वाह! वाह!... तेरे प्यार में पागल हो गया पीटर...
|
| 45. | घड़ियाली आंसू बहते हैं, संसद के गलियारों मेंज्यूँ मछली से प्यार जताना, मछुआरों ने सीख लियावाह! वाह! वाह! बहुत ही शानदार ग़ज़ल...सादर बधाईयाँ.
|
| 46. | गौ. दा.: वाह! वाह! अंधेर नगरी चौपट राजा, टका सेर भाजी टका सेर खाजा (यही गाता है और आनन्द से बिगुल बजाता है)।
|
| 47. | ककरौंधे के पौधे ने खुशी से हँसते हुए कहा, “ वाह! वाह! कितनी दिलचस्प बात है कि आप हिरन पर सवार होकर यात्रा करते हो।
|
| 48. | महन्त: देखूँ बच्चा! (मिठाई की झोली अपने सामने रख कर खोल कर देखता है) वाह! वाह! बच्चा! इतनी मिठाई कहाँ से लाया? किस धर्मात्मा से भेंट हुई?
|
| 49. | क्यूँ आईना कहें उसे, पत्थर न क्यूँ कहें जिस आईने में अक्स न उनका दिखाई दे वाह! वाह! हर शेर गज़ब का लगा. बहुत ही सुन्दर समीक्षा. आभार.
|
| 50. | वाह! वाह! वाह! पूनम जी बस 'वाह! वाह! वाह!जी. देख आसमानी फ़िजाओं को तेरी याद आती है बहुत जाने कब ये अपना रुख बदल दे जल्दी से आ जाओ ना।
|