अंतरिक्ष के निर्वात में, उपग्रहों में बहु-पर्तीय इंसुलेशन का प्रयोग किया जाता है जिसमें अल्यूमिनियमीकृत माइलार की कई पर्तें होती हैं जो विकिरित ताप संचार को बहुत कम कर देती हैं और उपग्रह के तापमान को नियंत्रित करती हैं.
42.
अंतरिक्ष के निर्वात में, उपग्रहों में बहु-पर्तीय इंसुलेशन का प्रयोग किया जाता है जिसमें अल्यूमिनियमीकृत माइलार की कई पर्तें होती हैं जो विकिरित ताप संचार को बहुत कम कर देती हैं और उपग्रह के तापमान को नियंत्रित करती हैं.
43.
नीले प्रकाश के विकिरित अणुओं की तुलना में बादलों का निर्माण करने वाली जल की सूक्ष्म बूंदों का आकार बहुत अधिक होने के कारण आकाश के नीले होने के बावजूद भी हमें अधिकतर बादल श्वेत रंग के दिखाई देते हैं।
44.
उन्होंने ये व्याख्या दी, कि electron जब अपने orbit में घूमता है तो कोई ऊर्जा विकिरित नहीं करता, बल्कि वह ऊर्जा उस समय बाहर छोड़ता है जब वो एक अधिक ऊर्जा वाले orbit से दूसरे कम ऊर्जा के orbit में jump करता है।
45.
ध्वनि दबाव निर्गम लाउडस्पीकर से एक मीटर पर (या गणितीय रूप से लिये गए माप के बराबर) तथा अक्ष पर मापा जाता है (सीधे इसे के सामने), कि शर्त के तहत कि लाउडस्पीकर एक असीम बड़ी जगह में एक असीम अवरोधक पर आरोहित होकर विकिरित हो रहा है.
46.
ध्वनि दबाव निर्गम लाउडस्पीकर से एक मीटर पर (या गणितीय रूप से लिये गए माप के बराबर) तथा अक्ष पर मापा जाता है (सीधे इसे के सामने), कि शर्त के तहत कि लाउडस्पीकर एक असीम बड़ी जगह में एक असीम अवरोधक पर आरोहित होकर विकिरित हो रहा है.
47.
समान तापमान पर दो चीजें संतुलन में रह सकती हैं, जैसे टी तापमान पर प्रकाश के बादल से घिरा पदार्थ टी तापमान पर औसत रूप से बादल में उतना प्रकाश विकिरित कर सकता है, जितना वह सोख ले, यह प्रीवोस्ट के विनिमय सिद्धांत पर आधारित है, जो विकरणशील संतुलन को संदर्भित करता है.
48.
समान तापमान पर दो चीजें संतुलन में रह सकती हैं, जैसे टी तापमान पर प्रकाश के बादल से घिरा पदार्थ टी तापमान पर औसत रूप से बादल में उतना प्रकाश विकिरित कर सकता है, जितना वह सोख ले, यह प्रीवोस्ट के विनिमय सिद्धांत पर आधारित है, जो विकरणशील संतुलन को संदर्भित करता है.
49.
का कारण बनती हैं. एक बार जब सीमा बंद हो जाती है, प्लेटों के बीच में सतत सापेक्ष गति तनाव को बढ़ा देती है, इसलिए, दोष सतह के चारों और के स्थान में तनाव उर्जा संगृहीत हो जाती है.यह तब तक जारी रहता है जब तनाव पर्याप्त मात्रा में बढ़कर अनियमितता को उत्पन्न करता है, और दोष सतह की बंद सीमा के ऊपर अचानक भूमि खिसकने लगती है, संग्रहीत ऊर्जा मुक्त होने लगती है.यह ऊर्जा विकिरित प्रत्यास्थ तनाव (
50.
३. समय (काल)-अंतरिक्ष में बहुत से भारी कणों ने, मूल स्थितिक ऊर्जा, नाभीय व विकिरित ऊर्जा, प्रकाश कणों आदि को अत्यधिक मात्रा में मिला कर कठोर रासायनिक बंधनों वाले कण-प्रति कण बनालिए थे (जिन्हें राक्षस कहागया है) वे ऊर्जा का उपयोग रोक कर सृष्टि की आगे प्रगति रोके हुए थे, पर्याप्त समय बाद (ब्रह्मा को ज्ञान के उपरांत) उदित, इंद्र (रासायनिक प्रक्रिया-यग्य) द्वारा बज्र (विभिन्न उत्प्रेरकों) के प्रयोग से उन को तोड़ा।