जिस प्रकार रेडियो स्टेशन से विद्युत तरंग से ध्वनि प्रसारित करने पर समान धर्म वाले केंद्र से ही उसे सुना जा सकता है, उसी प्रकार इस लोक में स्थित पुत्र रूपी मशीन के भी भावों को श्राद्ध में यथा स्थान स्थापित किए हुए आसन आदि की क्रिया द्वारा शुद्ध और अनन्य बनाकर उसके द्वारा श्राद्ध में दिए गए, अन्नादिकके सूक्ष्म परिणामों को स्थान्तरण कर पितृलोक में पितरों के पास भेजा जाता है।
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यदि आप पंखा, माइक और लाइट को देखेंगे वे सब एक ही विद्युत तरंग के कारण चल रहे हैं | परन्तु ऐसा प्रतीत होता हैं कि पंखा, माइक और लाइट अलग अलग है | वे अलग अलग प्रतीत होते हैं लेकिन वे सब एक ही चीज से बने है | उसी तरह यदि सूर्य नहीं होता तो पृथ्वी नहीं होती | यदि पृथ्वी नहीं होती तो पौधे, पेड़ और मानव भी नहीं होते? तो हमारा स्रोत क्या है?